- SHARE
-
जयपुर। जयपुर की सड़कों पर कहने को सैंकड़ों ऑटो चालक देखने को मिल जायेंगे,जिनकी अपनी अपनी दर्द भरी दास्तान है। मगर जरा ठहरो। यहां बात एक अस्सी हाल के वृद्ध ऑटो चालक की चल रही है।
इस ऑटो चालक की उम्र अस्सी साल पार कर चुकी है,मगर क्या मजाल की उसकी चुस्ती में जरा भी फर्क आया हो। हमेशा की तरह सुबह पांच बजे उठ जाता है। खुद की मॉर्निग टी खुद ही बना कर इसकी चुस्ती का आनंद ले कर दिन की शुरुवात करता है, इसके बाद आधा घण्टे में नित्य से फरीख हो कर कुछ देर , परमेश्वर की पूजा करता है। इस बीच उसका टीफन तैयार हो जाता है। दो रुखी रोटी और इसके भीतर प्याज के टुकड़े । अक्सर यही मीनू माह भर चलता है। कभी कभी आम के आचार का पीस मिल जाने पर बड़ा ही खुश हो जाया करता है ऐसा नहीं कि उसके दो पुत्र है। पोता पोती भी है, मगर उनकी लाइफ मॉर्डन लोगों की बन गई है। सूरज उगने के बाद भी पलंग पर पड़े रहते है। सुबह की टी उन्हें बिस्तर पर ही चाहिए।जरा भी चूक होने पर पूरे घर को उठा मारते है। देशराज कहता है कि हमने अपने बुजुर्ग मां बाप से यही सीखा। भोर होने से पहले ही अप्टूडेट हो जाते है। आज की लाइफ में नई पीढ़ी , बुजुर्गो से हर क्षेत्र में मात खाती है।
देशराज भाई का ऑटो स्टैंड सांगानेरी गेट के निकट, महिला हॉस्पिटल के बाहर फुटपाथ है। उसके अलावा कोई दस बारह ऑटो चालक भी वहां मौजुड़ रहते है। बारी के हिसाब से सवारी मिल जाती है।
देशराज से संपर्क ऑटो स्टैंड पर हु वा था। देखने में उसकी उम्र का अहसास होता है। मुंह में मुकुल से दो दांत दिखाई देते है। जबड़े के बाहर वाली जाड दो थी , मगर अब एक ही रह गई है।।चाय तो किसी तरह सुर सुर हो जाती है। मगर रोटी चबाने में बड़ी मस्कट करनी हो जाती है। रोटी को नरम बनाने के लिए उसे दस मिनट के लिए पानी भिगोना पड़ जाता है।
देशराज कहता हैं की उसके दो जवान बेटों की मौत रोड एक्सीडेंट में हो जाने पर उनके परिवार को पालने की जिम्मेदारी उसकी है,इसे पूरा करने केलिए दिन रात मेहनत करनी पड़ती है। बातचीत लंबी होते देख हंसराज निकट की चाय की स्टाल की ओर मुंह घुमा कर, इशारा करता है। याने दो कट। स्ट्रॉन्ग। मीठा फुल , इसके बाद, कांच के गिलास में फूंक मार कर, फर फर करने लगता है। हमारे निकट ट्रैफिक लाइट के निकट पुलिस का जवान खड़ा होता है। ना मालूम क्या हुवा , हमारी ओर अपना मुंह पिचका कर ,गुस्सा दिखाने लगता है। एक वाक्य में इतनी सारी गालियां, गुस्सा तो आता है। मगर पुलिस विभाग के अपने रूल्स है। इस बारे में क्या कुछ किया जा सकता है।
हमारी गपशप हासिए पर लाने को, देशराज अपनी पोती की बड़ी तारीफ करने लगता है।
बाबा बताता है, उसकी पोती पढ़ाई