अब टोल वसूली का नया युग! फास्टैग की जगह GNSS सिस्टम करेगा टोल कटौती, जानिए कैसे काम करेगा यह हाईटेक सिस्टम

Trainee | Thursday, 26 Dec 2024 01:08:19 PM
Now a new era of toll collection! GNSS system will deduct toll instead of Fastag, know how this high-tech system will work

भारत में GNSS (ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) आधारित टोल प्रणाली की शुरुआत से यात्रा और टोल भुगतान प्रक्रिया में बड़ा सुधार होगा। इस नई तकनीक के कारण अब टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। हालांकि, फास्टैग का उपयोग अभी जारी रहेगा, और दोनों प्रणालियां एक साथ काम करेंगी।

हाल ही में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर GNSS आधारित टोल प्रणाली लागू की जाएगी। यह पहल परिवहन को अधिक स्मार्ट और सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से की गई है। GNSS सिस्टम से यात्रियों को टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जिससे समय की बचत होगी और यात्रा सुगम बनेगी।

GNSS आधारित टोल सिस्टम कैसे काम करेगा?

GNSS सिस्टम के तहत गाड़ियों की यात्रा को सेटेलाइट के माध्यम से ट्रैक किया जाएगा। वाहन द्वारा तय किए गए मार्ग के आधार पर टोल शुल्क का निर्धारण किया जाएगा। जैसे ही गाड़ी हाईवे पर चलेगी, टोल शुल्क ऑनलाइन कट जाएगा, और टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।

यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल होगी और सेटेलाइट द्वारा संचालित की जाएगी। इसके लिए नए टोल बूथ पर हर वाहन का डाटा एकत्र किया जाएगा ताकि GNSS सिस्टम सुचारू रूप से काम कर सके।

क्या फास्टैग बंद हो जाएगा?

GNSS प्रणाली के आगमन के बावजूद, फास्टैग का उपयोग बंद नहीं होगा। वर्तमान में फास्टैग एक प्रभावी और लोकप्रिय प्रणाली है। सरकार प्रारंभ में GNSS प्रणाली को कुछ चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू करेगी, जिससे दोनों प्रणालियां (फास्टैग और GNSS) एक साथ काम करेंगी। यदि GNSS किसी कारण से लागू नहीं होता है, तो फास्टैग के जरिए टोल भुगतान जारी रहेगा।

 

 

 

 

 

 

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