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राजस्थान मेंमेडिकल सर्विस शुक्रवार को प्रभावित रहीं, प्राइवेट डॉक्टरों ने इस सप्ताह के शुरू में राज्य विधानसभा द्वारा पारित राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ अपना आंदोलन जारी रखा और रेजिडेंट डॉक्टरों ने सरकारी हॉस्पिटल में काम का बहिष्कार किया। बिल राजस्थान के प्रत्येक निवासी को किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों द्वारा जरुरी चार्ज या पेमेंट के बिना इमरजेंसी ट्रीटमेंट का अधिकार देता है। प्राइवेट हॉस्पिटल कानून के लागू होने के बाद अपने कामकाज में सरकार के हस्तक्षेप को लेकर आशंकित हैं।
जहां प्राइवेट डॉक्टरों ने बिल को वापस लेने की मांग की है, वहीं सरकारी हॉस्पिटल के रेजिडेंट डॉक्टरों ने उनका समर्थन किया है और काम का बहिष्कार कर रहे हैं। जयपुर के सवाई मान सिंह हॉस्पिटल जैसी स्वास्थ्य सुविधाओं में इसका असर दिखाई दे रहा है- राज्य का सबसे बड़ा सरकारी हॉस्पिटल - जहां केवल सीनियर डॉक्टर ही मरीजों को देख रहे थे।सरकारी हॉस्पिटल में बड़े ऑपरेशन पोस्टपोन कर दिए गए और मरीजों का इलाज सिर्फ इमरजेंसी केयर के लिए किया जा रहा था। ऑल राजस्थान इन-सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन ने भी अपने सदस्यों से आंदोलन के समर्थन में घर पर प्राइवेट प्रैक्टिस बंद करने को कहा है।
प्राइवेट हॉस्पिटल्स एंड नर्सिंग होम्स सोसाइटी के सचिव विजय कपूर ने कहा कि जब तक बिल वापस नहीं लिया जाता तब तक डॉक्टर हिलेंगे नहीं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने पहले ही मांग को खारिज कर दिया है। राजस्थान बिल के पारित होने के साथ स्वास्थ्य के अधिकार को कानून बनाने वाला देश का पहला और एकमात्र राज्य बन गया है। सत्तारूढ़ कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में कानून लाने का वादा किया था।