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जयपुर। शहर वासियों की सुविधा के लिए जयपुर में लॉ फ्लोर बसों की सेवाएं शुरू की गई थी। मगर अब इसका चेहरा इस कदर कुरूप हो चुका है की शहर वासी तौबा करने लगे है।नगर वासियों की नाराजी पर विचार किया जाय तो खासा बड़ा उपन्यास लिखा जा सकता है। मगर मोटे तौर शोचनीय बात यह है कि इन बसों की कंडीशन बहुत खराब है। इनके इंजन थोड़े से सफर के बाद ही हाफने लग जाते है। कब और किस वक्त बस खराब हो जाय। ब्रेकडाउन की तलवार यात्रियों के सिर पर हमेशा लटकी रहती है। हालत यहाँ तक हो चली है कि नगर वासी इनकी सेवा से कतराने लगे है। दमें या अस्थमा का पेसेंट इसमें नहीं बैठ सकता। खासा स्वस्थ यात्री को भी लंग्स का खतरा बना रहता है।इंजन से निकला काला धुंआ बस के भीतर भर जाता है। इससे भी गंभीर बात यह है की जयपुर के पर्यावरण के लिए ये बसें शुभ संकेत नहीं है। इन बसों को संविदा कर्मचारी चला रहे है। अनुभव हीन होने पर रोड एक्सीडेंट तो आम बात हो गई है। खटारा बसों से जुड़ा इस सीन को देखिए........!
एसएमएस के ट्रॉमा में सुबह का वक्त है। वहां के रिपेयरिंग रूम में दो युवक अपनी टांगें खो बैठे। कारण भी सुनले........! किसी काम से जा रहे थे। चांद पोल बाहर किसी लॉ फ्लोर बस ने दे मारा। मोटरसाइकिल का तो बजा बजना ही था। इस पर सवार दो मित्र चपेट में आ गए। एक बुजुर्ग की व्यथा सुनाई, शास्त्री नगर स्थित अपने निवास से किसी मित्र से मिलने जा रहे थे। सुरक्षा के लिहाज से बैट्री रिक्शा में सवार हों गए। थोड़ी दूरी पर ही , उनका साधन दिवंगत हो गया। लॉ फ्लोर बस ने दे पटका। बैट्री रिक्शा में उनके अलावा चार और सवारियां सवार थी। जिनका उपचार ट्रॉमा हॉस्पिटल में चल रहा है। एक बुजुर्ग सीरियस है। आईसीयू में वेंटिलेटर पर है। तीन सवारी के हाथ और पांव में रोड डाली गई है। कब तक चलेगा उपचार, कोई अता पता नहीं है। दूसरा सीन यादगार के सामने अजमेरी गेट बस स्टैंड का है। सायं का समय है।
सिटी बस स्टैंड की फुटपाथ पर सौ से अधिक यात्रियों की भीड़ जमा है। एक के बाद एक तीन लो फ्लोर बसें कतार बद्ध है। हालत इतनी खराब हैं कि बस के भीतर पांव रखने की जगह नहीं है। चालक व परिचालक सीट से गायब है।
बस के प्रवेश द्वार पर दो युवतियां भी फंसी है। मारे पसीने के बुरा हाल है। यहीं चार पांच लेडीज भी मौजूद है। हाथ में बैग है। दूसरी महिला की गोद में दो साल का बच्चा,बदहाल अवस्था में , गर्मी और भीड़ में फंसा रोए जा रहा है। दो बुजुर्ग परेशान है। कई बार प्रयास किए,मगर नहीं चढ़ सके बस में असफल रहे। भीड़ ने बाहर धकेल दिया । गनीमत रही कि गिरे नहीं। वरना हाथ पांव तुड़वा बैठते। इसी बस से कोई दस फुट के डिस्टेंस पर डिलेक्स सिटी बस भी खड़ी है। सामान्य बस की तुलना में इसका किराया डबल होने पर,इसका कैंडैक्टर सवारियां को गला फाड़ कर पुकार रहा है।आगे सांगानेर और प्रताप नगर की बसें है। भीड़ बाप जी बाप। मरना मंजूर,मगर बस में सफर कतई नहीं। आने जाने वाली बसों में सवारियों के बीच धक्कम पेल चल रही है। बस रवाना होती है की इसके पहले, आमेर के और से आ रही मिनी बस आ धमकती है। जानवरों की तरह लोग भरे हुवे है। सांस लेने तक की जगह नहीं है। और आओ। आगे पीछे। चार पांच सवारीयों की जगह है। आगे एसएमएस की सवारी भी उठानी है। चालक अक्सीलेटर दबाता है। बस झटकती है। तभी कोई अस्सी साल का वृद्ध, नीचे गिर जाता है। सवारियां शोर मचाने लगती है। बुजुर्ग बताता है कि उसे प्रताप नगर जाना है। मगर यह बस ना जाने कहां ले जानी है।
जयपुर में ट्रांसपोर्टेशनपर जितना कुछ कहा जाए वह कम है। सच तो यह है कि इस सिस्टम की ऑयलिंग जरूरी है।
गौर तलब रहे राजधानी में एक तरफ तो आबादी चालीस लाख से बढ़ कर पचपन लाख हो गई है,दूसरी ओर लो फ्लोर बसें चार सौ से घटकर तीन सो हो गई है। अब गत एक अप्रैल से सौ बसों का बेड़ा रोड से बाहर होने की खबर पर घमासान मचा हुआ है। बसों के ब्रेकडाउन होने पर शहर के साठ हजार लोग प्रभावित हो गए है।
बताया जाता है कि कबाड़ होने वाली बसे २०१३ में खरीदी गई थी।दिसंबर २०१९ में कांग्रेस सरकार आई उस समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ४०८ बसें चल रही थी। सरकार के चार साल के कार्यकाल में नई बसों की एंट्री नहीं हुई। अब मार्च २०२३ में २०८ बसें रह जायेगी। इन हालातों में निजी बस वाले ऑपरेटर्स का एक छत्र राज हो जाना है। मन मर्जी से किराया बढ़ेगा। जिसका सीधा असर मध्य वर्ग पर पड़ना तय है। दूसरी ओर जेसीटीएसएल के बेड़े में शामिल होने वाली १०० इलेक्ट्रिक बसें खरीदने की फाइल का अता पता नहीं है। कुछ माह पहले हुई जेसीटीएसएल की बोर्ड की बैठक में एक हजार बसें खरीदने का प्रस्ताव पारित किया गया था। इसमें १०० इलेट्रिक बसें ओन रूट हो जानी थी। इसके लिए जेसीटीएएसएल प्रबंधन ने तीन माह पहले फाइल चलाई थी। बसों का संचालन ऑपरेटिंग मॉडल और सरकार की ओर से दिए जाने वाले फंडिंग का पैटर्न और स्रोत के आधार पर लेनी है।
२०२४ में ३०० नई बसें और २०२५ में शेष ४०० बसें बेड़े में शामिल किए जाने की योजना है। बगरू, चाकसू, बस्सी,कूकस, गोनेर और पत्रकार कॉलोनी के लिए कएनेक्टिविटी प्रभावित हो जायेगी। हा हा कार मचा हुवा है। जनता का दर्द कोई भी सुनने को तैयार नहीं है।