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बिहार भूमि सर्वेक्षण राज्य सरकार का एक महत्वपूर्ण अभियान है, जिसका उद्देश्य जमीन मालिकों की पहचान और उनकी संपत्ति का आधिकारिक रिकॉर्ड तैयार करना है। इस प्रक्रिया में मृतक जमीन मालिक, बंटवारा, और दस्तावेज़ों की कमी जैसे मामलों का समाधान किया जाता है। यदि जमीन के मालिक की मृत्यु हो चुकी है, तो उनकी संपत्ति पर अधिकार के लिए वैध उत्तराधिकारियों के नाम दर्ज किए जाते हैं।
मृतक जमीन मालिक के मामले में सर्वे प्रक्रिया
- मृत्यु प्रमाण पत्र: पंचायत या नगर निकाय से प्राप्त मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
- वंशावली प्रमाण पत्र: पंचायत द्वारा प्रमाणित वंशावली जरूरी है, जो उत्तराधिकारियों की पहचान स्थापित करती है।
- संयुक्त नामांकन: यदि संपत्ति का बंटवारा नहीं हुआ है, तो सभी उत्तराधिकारियों का नाम संयुक्त रूप से दर्ज किया जाएगा।
बिना दस्तावेज़ के अधिकार कैसे साबित करें?
- खातियान का उपयोग: पुश्तैनी जमीन के लिए खातियान सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
- पुरानी रसीदें: रजिस्ट्री या खातियान न होने पर पुरानी रसीदें स्वामित्व साबित कर सकती हैं।
- पंचायत प्रमाण पत्र: पंचायत से प्रमाणित वंशावली और गवाहों के सहयोग से जमीन पर अधिकार स्थापित किया जा सकता है।
- ग्राम सभा का प्रमाण: ग्राम सभा के प्रमाण पत्र से जमीन की पहचान और स्वामित्व की पुष्टि हो सकती है।
विवादित संपत्तियों का समाधान
- कोर्ट केस: यदि संपत्ति विवादित है, तो मौजूदा दस्तावेज़ के आधार पर अस्थायी नामांकन होगा।
- कोर्ट निर्णय: निर्णय के बाद सरकारी रिकॉर्ड में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे।
सर्वे में अन्य महत्वपूर्ण बातें
- संपत्ति का बंटवारा होने पर संबंधित दस्तावेज़, जैसे बंटवारे का एग्रीमेंट या कोर्ट का आदेश, प्रस्तुत करना होगा।
- जिन संपत्तियों का बंटवारा नहीं हुआ है, उनके लिए संयुक्त नामांकन किया जाएगा।
- रजिस्ट्री लंबित होने की स्थिति में अस्थायी नामांकन किया जाएगा।