- SHARE
-
जयपुर। राजस्थान में अब 225 वर्गमीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भू-खण्डों में वाटर हार्वेस्टिंग इकाई एवं संरचना निर्मित करना अनिवार्य हो गया है। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने अब इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है।
सरकार ने अब प्रदेश में वर्षा के पानी द्वारा भू-जल स्तर बढ़ाने के सम्बन्ध में राज्य जल नीति के अनुसार वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली के निर्माण को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण हेतु भवन विनियम 2020 की विनियम 10.11.1 में वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन के आवश्यक प्रावधान अनुसार 225 वर्गमीटर अथवा ज्यादा क्षेत्रफल के भू-खण्डों में सैटबैक क्षेत्र में भू-गर्भ का जल स्तर बढाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग इकाई एवं संरचना निर्मित करने का प्रावधान अनिवार्य किया है। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों में रीको भवन विनियमन 2021 के अनुसार 500 वर्ग मीटर एवं अधिक क्षेत्रफल के भू-खण्डों में वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण किया जाना अनिवार्य है।
मालिक अथवा रहवास करने वाले व्यक्ति को करवाना होगा ऐसा
शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने इस संबंध में जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण उसके मालिक अथवा उसमे रहवास करने वाले व्यक्ति द्वारा करवाया जाएगा। जब तक भवन के मालिक या रहवासी द्वारा वर्षा जल पुनर्भरण संरचना प्रणाली का निर्माण नहीं करवाया जाता है, तब तक संबंधित नगर निकाय नगर निगम, परिषद एवं पालिका द्वारा भवन में नए जल कनेक्शन हेतु अनापत्ति प्रमाण-पत्र एवं अधिवास प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा।
दोषी भवन मालिकों के विरुद्ध कारावास अथवा जुर्माने की होगी कार्यवाही
शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने इस दौरान ये भी बोल दिया कि राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 238 (7) के प्रावधान अनुसार ऐसे दोषी भवन मालिकों के विरुद्ध कारावास अथवा जुर्माने की कार्यवाही हेतु सक्षम न्यायालय में चालान किया जा सकता है। वहीं अब वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण नहीं करने वालों को पेयजल कनेक्शन भी जारी नहीं किया जाएगा।
PC: X
अपडेट खबरों के लिए हमारा वॉट्सएप चैनल फोलो करें