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जयपुर। कहने को लाइफ में उतार चढाव के मौके हर किसी की लाइफ आते रहते है। उठापटक का सिलसिला चलता रहता है।इन पलों में खुशियों के पल चुटकियों में बीत जाते है। मगर जरा ,सोचो बूते दिनों का सिलसिला काटे नहीं कटता। हर वक्त हमारे घावों को कुरेदता रहता है। यही सिलसिला कई बार व्यक्ति को डिप्रेशन जैसी बीमारियों के चंगुल में फंस जाता है। इस अवस्था में अनेक बार व्यक्ति सुसाइड जैसे दुखदायक कदम उठा लेता है। मगर यह किस्सा एक ऐसे बुजुर्ग का है, जिन्होंने दुखों को अपना दोस्त बनाया। अकेला होने के बाद भी,अपने आप को समाज को समर्पित कर दिया।
दिवंगत सेवाभावी बुजुर्ग का नाम है प्रभु दयाल गौड़ है। बापू नगर में कभी इनका सी ब्लाक में मकान हुआ करता था। मगर अब उसे सेल आउट कर दिया। जिसे कुछ साल पहले बेच दिया था अब उनकी यादें शेष रह गई है।
गौड़ साहब रिटायर जानें के कुछ साल पहले शासन सचिवालय में डिप्टी सेक्ट्री की जिम्मेदारियां निभाया करते थे। संतान ना होने पर वे अपनी पत्नी के साथ अकेले ही रहते रहे।
साहब की खूबी यह थी कि वे समाज सेवा के लिए समर्पित थे। इसके निवास की चार दिवारी में बैडमिंटन,कैरम और योग की सेवाएं निशुल्क दिया करते थे। साथ ही स्वस्थ रहने के टिप्स लोगों को सुनाया करते थे। प्राकृतिक चिकित्सा का अच्छा ज्ञान था । शुद्धता के लिए उन्होंने विदेशी गाय पाली हुई थी। घर में दो सदस्य होने पर, इसका दूध पास पड़ोसियों को बेच दिया करते थे। गौड़ साहब का एक ही मिशन था की बापू नगर के हर घर में हरियाली हों। इसके लिए आम और शहतूत के पौधे लगवाने पर जोर दिया करते थे। हर रविवार को वे क्रमवार हर घर कैंप लगाया करते थे। बागवानी में खासी दिल चस्पी थी । इनका प्रयास था की हर परिवार में घर की बगीची का ही उपयोग किया जाय। सब्जी के साथ साथ साथ साथ डेकोरेशन का काफी अच्छा संकलन था। डेकोरेशन में काम आने वाले पौधों का काफी अच्छा कलेक्शन था। उनकी दिलचस्पी राजनीति में भी थी। निर्दलीय के रूप में पार्षद का चुनाव लड़ा था। मगर वे निर्वाचित नही हो सके। धार्मिक आयोजन में खास दिलचस्पी थी। घर में ही लाइबेरी बनाई हुई थी।
गौड़ साहब का निधन तोड़ दुर्घटना में होगया था। वे स्कूटर पर थे। सामने किसी। ट्रक टक्कर मार दी। मौके पर ही उन्होंने दम तोड़ दिया था। पत्नी मानसिक रोगी थी। उनका क्या हुवा आज तक किसी को। अता पता नहीं है। मगर उनकी बातें आज भी याद आती है। नई पीढ़ी इनसे अनभिज्ञ है।