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समाचार जगत पोर्टल डेस्क। जयपुर के जे के लॉन हॉस्पिटल में कहने को
एक से एक खतरनाक बीमारियों के शिकार बच्चे उपचार के लिए आते है,मगर यह इस कदर उलझा हुवा है कि मध्यप्रदेश के सीनियर बच्चों के डॉक्टर ने जवाब दे दिया। अब इसे यहां के जे के लॉन हॉस्पिटल में उपचार के लिए लाया गया है। इस बच्चे का नाम हार्दिक है,जो केवल तीन साल का है। इसके पिता एक प्राइवेट हॉस्पिटल में वार्ड ब्वाय है। इनकी दर्द कथा इनके शब्दों में इस तरह बताई गई है......। हमारे घर में जब बच्चे का जन्म हुआ वा तो हम खुशियों झूम उठे। उसका नाम कारण पर बड़ा समारोह,धूम धाम से मनाया गया था। काफी अरमान थे।हमारा बच्चा पढ़ लिख कर बहुत बड़ा अफसर बनेगा। हमारा नाम रोशन करेगा। मगर हमारी खुशियां अधिक दिनों की नही रही । हमारा बच्चा हार्दिक लीवर की कोई खतर नाक बीमारी का शिकार हो गया। उसे शिकायत थी की वह कुछ भी नहीं खाता पीता था। यहां तक कि पानी भी नहीं। जो भी उसे खिलाते थे,उसे उल्टी से निकल दिया करता था। उसके ईलाज के लिए हम मारे मारे भटकते रहे। मगर कहीं भी उसकी बीमारी को काबू में नहीं किया जा सका। इलाज में काफी पैसे लग गए। जो अब तक जोड़ा था,सब बराबर हो गया। एम पी राज्य के सारे बड़े हॉस्पिटल आजमाए। बस एक ही जवाब मिला यह रोग दुर्लभ होता है,जिसका ईलाज नहीं हो सकता । इसके बाद भी हमने हिम्मत नहीं हारी। किसी तरह जयपुर पहुंचे। जे के लॉन हॉस्पिटल में डॉक्टर आर के गुप्ता ने ईलाज शुरू किया। दुर्भाग्य से हमारे डॉक्टर साहब सीरियस बीमार हो गए। हम नई परेशानी में पड़ गए । क्या किया जाय। क्या ना किया जाय।
हार्दिक की परेशानी बढ़ती गई। इंडो स्कॉपी से दो बार लीवर की बड़ी नस की रुकावट खोली गई और छल्ला
डाला गया,मगर दो तीन माह में फिर से वही हालत।
इस रोग में इसमें पोर्टल तंत्रिका में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इससे जुड़ी नसें जो जिगर और अन्य धमनियों से भी जुड़ी होती है,इस उच्च दबाव के कारण रुक जाती है। हाई ब्लड प्रेशर से भोजन नली,पेट और अन्य क्षेत्र