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PC: patrika
राजस्व विभाग द्वारा सरकारी और कस्टोडियन जमीनों के निजी खातेदारों के नाम पर किए जा रहे गैरकानूनी नामान्तरणों की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार ने नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत अब किसी भी न्यायालय के आदेश की पालना से पहले जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी से अनुमति लेनी अनिवार्य होगी। यह कमेटी तय करेगी कि उस मामले में सरकार कानूनी लड़ाई लड़ेगी या आदेश को उसी स्तर पर मान्यता दी जाएगी।
पृष्ठभूमि:
हाल के दिनों में यह सामने आया कि पुराने आवंटन आदेशों का उपयोग करके फर्जी तरीके से सरकारी भूमि को निजी खातेदारों के नाम कर दिया गया। इन मामलों में सरकारी भूमि को निजी लाभ में परिवर्तित कर दिया गया, जिससे सरकार को आर्थिक नुकसान हुआ।
नई व्यवस्था:
राज्य सरकार ने इस तरह के मामलों पर नियंत्रण रखने के लिए जिला स्तर पर राजकीय भूमि नामान्तरण परामर्श समिति (GLMSC) का गठन किया है। इस कमेटी में जिला कलेक्टर, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, विधि परामर्शी, और भू-अभिलेख अधिकारी शामिल होंगे।
पटवारी सरकारी भूमि से जुड़े नामान्तरण मामलों को इस कमेटी के समक्ष पेश करेगा, और कमेटी आवंटन आदेश और दस्तावेजों की जांच करेगी। यदि कमेटी को लगेगा कि निर्णय पर अपील होनी चाहिए, तो नामान्तरण आवेदन को निरस्त करने की सिफारिश की जाएगी।
इस आदेश को राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को लागू करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि सरकारी भूमि के फर्जी हस्तांतरणों को रोका जा सके।
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