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किसानों के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जैसे किसान सम्मान निधि और फसल खरीदारी योजनाएं। इनसे किसानों को आर्थिक सहायता, मुफ्त बिजली, और कृषि उपकरणों में सब्सिडी जैसे लाभ मिलते हैं। लेकिन, एक छोटी सी गलती इन सभी लाभों से वंचित कर सकती है।
क्या है वह गलती?
सरकार ने स्पष्ट किया है कि खेतों में फसलों के अवशेष जलाना किसानों को सभी सरकारी योजनाओं से बाहर कर सकता है। अगर कोई किसान पराली, भूसा, खूंटी या अन्य अवशेष जलाते हुए पाया जाता है, तो:
- उसे सरकारी योजनाओं से हटा दिया जाएगा।
- उस पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
- सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
कृषि विभाग के निर्देश
कृषि विभाग ने किसानों को फसल अवशेष जलाने से बचने का निर्देश दिया है। फसल अवशेष जलाने से कई समस्याएं पैदा होती हैं, जैसे:
- वायु प्रदूषण: अवशेष जलाने से वातावरण में हानिकारक गैसें फैलती हैं।
- मिट्टी की क्षति: इससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति घट जाती है, तापमान बढ़ जाता है, और नाइट्रोजन जैसे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
- जलवायु पर प्रभाव: प्रदूषण के कारण मौसम चक्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
किसानों को क्या करना चाहिए?
- अवशेष प्रबंधन: फसल अवशेष जलाने के बजाय उसका सही प्रबंधन करें।
- सरकारी सलाह का पालन करें: मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और नुकसान से बचने के लिए कृषि विभाग के निर्देशों का पालन करें।
- यंत्रों का उपयोग: अवशेषों को नष्ट करने के लिए आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग करें।
- सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं: सही प्रबंधन से किसानों को न केवल मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलेगी, बल्कि वे सरकारी योजनाओं का लाभ भी लेते रहेंगे।
क्यों है यह निर्देश जरूरी?
फसल अवशेष जलाने से:
- मिट्टी बंजर हो जाती है।
- पर्यावरण को भारी नुकसान होता है।
- कृषि उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- सरकार का उद्देश्य किसानों को बेहतर समाधान प्रदान करना और पर्यावरण को सुरक्षित रखना है।