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18 दिसंबर को छत्तीसगढ़ में बाबा गुरु घासीदास जयंती बड़े श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाएगी। यह दिन पूरे प्रदेश में सार्वजनिक छुट्टी के रूप में मनाया जाता है, ताकि लोग इस विशेष अवसर पर उत्साह और श्रद्धा के साथ भाग ले सकें। इस दिन कोसीर नई बस्ती में तीन दिवसीय आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम इसे और भी खास बनाते हैं।
Holiday: गुरु घासीदास जयंती पर सरकारी दफ्तर और स्कूल रहेंगे बंद
बाबा गुरु घासीदास जयंती छत्तीसगढ़ के सभी हिस्सों में बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। इस वर्ष यह पर्व 18 दिसंबर, बुधवार को मनाया जाएगा, और राज्यभर में स्कूल, कॉलेज, तथा सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे। इससे लोग पूरी श्रद्धा के साथ इस धार्मिक पर्व में शामिल हो सकेंगे। बाबा गुरु घासीदास को छत्तीसगढ़ के सतनाम पंथ के संस्थापक के रूप में माना जाता है, और उनके विचारों का समाज पर गहरा असर पड़ा है।
गुरु घासीदास जयंती: एक महीने तक चलने वाला उत्सव
गुरु घासीदास जयंती सिर्फ एक दिन की छुट्टी नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश में एक महीने तक चलने वाले उत्सव का आरंभ है। इस दौरान सतनाम समाज के लोग बड़े पैमाने पर आयोजनों का आयोजन करते हैं, जिनमें शोभायात्राएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सत्संग शामिल होते हैं। छत्तीसगढ़ के हर कोने से लोग इन आयोजनों में शामिल होकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
कोसीर नई बस्ती में विशेष तीन दिवसीय आयोजन
छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ जिले के कोसीर नई बस्ती में गुरु घासीदास जयंती के उपलक्ष्य में 9 दिसंबर से 11 दिसंबर तक तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम की शुरुआत शोभायात्रा के साथ हुई, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए। जैत खंभ में पालो (झंडा) चढ़ाने की विशेष रस्म अदा की गई।
इन तीन दिनों में विभिन्न कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए, जिससे पूरे क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना। आयोजन समिति ने इस कार्यक्रम को भव्य और यादगार बनाने के लिए खास तैयारियां की, जिससे यह आयोजन खास बन सके।
गुरु घासीदास के विचार और उनका महत्व
बाबा गुरु घासीदास के विचार आज भी समाज को प्रेरणा देते हैं। उन्होंने सत्य, अहिंसा और समानता का संदेश दिया था, जो आज भी समाज में प्रभावी हैं। उनका जैत खंभ इन विचारों का प्रतीक बन चुका है, जिसे जयंती के अवसर पर श्रद्धालु विशेष रूप से पूजते हैं।