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जयपुर। कहते है ना व्यक्ति की जिंदगी का कोई भरोसा नहीं होता। कब कौन चला जायेगा इस विषय पर कोई भी कुछ दवा नहीं कर सकता।
बात बापूनगर की है। पिछले एक माह में पांच लोगों को मौत ने डस लिया। मौत के इस खेल की खासियत थी कि पीड़ित सक्स को उसके परिजन और मित्रों ने कुछ ही समय पहले एक दम फिट देखा था। अच्छा खासा चंगा था । आराम से हंस हंस कर बातें कर रहा था। फिर अगले दिन,परिवार के सदस्यों ने सुबह की चाय के लिए जगाना चाहा,तो अफसोस....! उनका प्रिय मर चुका था। कैसे मरा। बीमार भी नहीं था। रात में आराम से खाना खाया। कुछ देर टीवी देखा फिर अगले दिन की प्लानिंग करते करते ऐसा सोया की सुबह का उजाला नहीं देख पाया।
इस तरह के केसेस में मरने वालों की उम्र साठ साल से नीचे थी। कोई बड़ी बीमारी भी नहीं थी। फिर हुवा क्या? एक के बाद एक सवाल उठे। यादें सताई। मन रोया और फिर.....यही ना। तीये की बैठक के बाद यह गम आया गया हो गया। बापूनगर में एक जैन परिवार में साठ साल के सक्स ने प्रातः स्नान के बाद जैन साधना का पाठ किया। फिर वहीं लुढ़क गया। इसी मौहल्ले में दूसरा केश भी इसी आयू वर्ग का था। दिन भर पैदल भ्रमण के बाद रात को परिवार के साथ खाना खाया। देर रात अटैक आया। वहां के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती करवाया। तीन दिनों तक आईसीयू में आना जाना चलता रहा। तभी डॉक्टर्स ने उसे चंगा घोषित कर दिसचार्ज करके उसके घर के लिए रवाना किया।
परिवार वालों ने सोचा कि प्रिय आराम कर रहा है। घर का रूटीन का काम ही निपटाया जाय। तभी बेडरूम में किसी चीज के गिरने की आवाज सुनाई दी। दौड़ कर वहां पहुंचे तो हैरान रह गए। उनका पेसेंट कमरे की फर्श पर गिरा हुवा था। मुंह से खून बह रहा था। वहीं चारपाई के निकट जरदे का गुटका पड़ा था। बिना कोई विलंब की फोरन अस्पताल ले जाया गया। टका सा जवाब मिला....यही कि ही इज नो मोर! दो लोग तो एक ही दिन लगभग एक ही वक्त मर गए। दोनों का अंतिम संस्कार भी एक ही समय,लालकोठी शमशान में हुवा। इसी तरह,राजेंद्र मार्ग पर एक व्यक्ति मॉर्निंग वाक के बाद हंसते मुस्कुराते घर में घुसे। और फिर चाय की चुस्कियां भी पूरी नहीं ली। वहीं दिवंगित हो गए। इसी तरह के एक घटना माथुर कॉलोनी में हुई। पास पड़ोसी हैरान रह गए। घर के बुजुर्ग पराठा खाते कि वहीं लुढ़क गए। एक बात का ताजुब मरने वालो में नंबर मर्दों का था और महिलाएं लास्ट।
हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर के मामले में जयपुर के एक सीनियर कार्डियो लॉजिस्ट से बात हुई थी। कुछ बातें बड़ी काम की बताई। वे कहते थे... हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर की दिक्कत मुख्य रूप से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से होती है। इसके अलावा खराब लाइफ स्टाइल,ओवर ईटिंग,मोटापा, डाईबटीज , अल्कोहल, स्मोकिंग, फेफड़ों में क्लोटिंग और जेनिटिंग।हार्ट फेलियर का जहां तक सवाल है इसके कारणों में, पहला हार्ट अनेक, जेनेटिक और हार्ट के वाल्व खराब होने पर। हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर में भी अंतर है। हार्ट फेलियर में दिल की धड़कने तेज होना , पैरों में सूजन ,थकान ,कमजोरी , सांस लेने में तकलीफ , सीने में दर्द,भूख ना लगना ,जी मिचलाना,तेजी से वजन बढ़ना। तेज खांसी के साथ ब्लड आना।
हार्ट अटक के केसेज में नार्मल से ज्यादा पसीना आना , कंधा हाथ पीठ,गर्दन ,जबड़े और पेट में दर्द और मिचली। सांस में तकलीफ चक्कर आना।यहां एक कंफूजन अक्सर लोगों में देखने को मिलता है। आजकल लोग हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट का नाम एक साथ ले लेते है। जबकि कार्डियक अरेस्ट में किसी भी व्यक्ति का हार्ट अचानक से पम्प काम करना बंद कर देता है। ये तब होता है की जब दिल बहुत तेजी से धड़कता है और ब्लड का फ्लो पूरे शरीर में असंतुलन बिगड़ता है। इस पर शरीर के सभी अंगों तक खून नही पहुंच ता। मेडिकल टर्म में जब हार्ट के इलेट्रिक सिस्टम में अचानक खराबी आ जाती है।कुछ ही समय में उसे हॉस्पिटल ना लेजाया जाय तो,मरीज मार जाता है। कार्डिक अरेस्ट में मौत की संभावना हार्ट अटैक की तुलना में अधिक होती है।