मजे लेलो.......! मगर सोचो, किस कीमत पर.......

epaper | Thursday, 27 Apr 2023 09:05:19 AM
Have fun.......! But think, at what cost.

 

जयपुर शहर का खूबसूरत बाजार। अच्छे लोग और क्वालिटी का व्यापार। दाम को लेकर भी शिकायत नहीं। मगर हालत इस कदर बिगड़ने लगे है। समय रहते सचेत नहीं हुए तो जनता स्टोर मार्केट के बिजनेस डगमगा सकता है। यहां की  प्रॉबलम पर विचार किया जाय तो लंबी सूची तैयार हो सकती है। देखा जाए तो जनता स्टोर मार्केट में व्यापार मंडल है। इनसे भी काफी अपेक्षा है। अधिकतर समस्याओं का समाधान  उनके प्रयासों से हो सकता है। मगर लगता है कि वहां तालमेल के कमी है। इसके निराकरण में अधिक प्रयासों की आवश्यकता  नहीं है। फिर करो ना कुछ, इन्हे रोकता कौन है। मार्केट की पिक्चर पर नजर डाली जाए तो, चलो वहां पर । पोस्मार्टम करोगे तो सामने आ जाएगा  असल सच ।बस ......। ठहरों जरा। मैं खड़ा हूं राजेंद्र मार्ग पर। उपासना की चार तले की शानदार बिल्डिंग के ठीक सामने। काफी कुछ बदल गया है। आठ दस साल के भीतर। इतनी चहल पहल की जनता मार्केट का भीतरी नजारा अब फीका पड़ता जा रहा है। कभी वहां फ्रूट ज्यूस सेंटर पर, दो चार लोग खड़े रहते थे। मगर अब,बैठने को जगह नहीं है। इसी से सटकर जनता चाय वाला। चटकारे दार चाय के पीछे 
लोग काफी आने लगे है। सूर्य की तपत कम होते ही, छोकरो और उनके साथ,बराबरी की संख्या में छोकरियां। मुड़ियों के संख्या कम पड़ जाती है। बिजनेस की बात की जाय तो इसमें इजाफा होना अच्छी बात है। मगर ग्राहकों की सुविधाओं पर भी ध्यान देना जरूरी है। वरना ग्राहकी का मामला बेहद नाजुक होता है। इसी विषय पर जनता चाय वाले से बातचीत की गई थी। उसका कहना था की भीड़ से अंदाजा नहीं लगाया जा सकता चाय वालों की तुलना में। कोरी हंसी और ठहाके। पैसा खर्च करने वाले बहुत कम है। आगे सब्जी वाले का अखाड़ा। इसकी समस्या अलग है। उसका विशाल काउंटर......।  दुकान के स्पेस से कहीं बड़ा। आधी रोड को कवर कर रहा है। बात यहीं तक सीमित नहीं है।  इस साहब के ग्राहकों की गाडियां भी दुकान के बाहर खड़ी रहती है। हालत इतनी खराब है कि लोग वहां अपनी कार में बैठे बैठे खरीददारी करना चाहते है। बस होगया ना बंटाधार।सारा ट्रैफिक जाम हो जाता है। लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। एक्सीडेंट बढ़ते जा रहे है। शाम के वक्त तो खुदा खैर करे.....हालत खराब हो जाते है। जाम के हालात स्थानीय जनता को भी दुख दे रहे है।हालत इस कदर खराब की क्या मजाल कि कोई पैदल चलने के पहले दस बार सोचना पड़ता है। देर रात तक यही सीन चलता रहता है।
सब्जी वाले के आगे। दो कदम आगे। एक और जूस वाला। कुछ समय पहले ही खुला है। यहां सट कर साइकिल मैकेनिक का कारखाना ....।  हालात बिगाड़ने में इक्कीस है। इसके वाहन भी रोड पर खड़े रहते है। पंचर वाले ग्राहक काफी टाइम 
लेते है।  सैलून की रौनक भी झमाझम है। आगे पत्थर की चोकियों का बना छोटा सा चौक है। यहीं पर पान, बीड़ी गुटखा की दो दुकानें है। दोनों की ग्राहकी अच्छी है। मगर कोरोना काल बहुत बुरा रहा था। पूरे साल तक जमापूंजी खानी पड़ी। 
पत्थर चौक के सामने। राजेंद्र मार्ग के बीच,कभी खूबसूरत सर्किल था। मगर दारू बाज गाड़ी वालो ने तोड़ डाला। रही सही कसर जेडीए वालों ने पूरी कर डाली। सर्किल की गोलाई के साथ साथ सीमेंट की परदी बनाई गई है। एक दम बद सूरत। बापू नगर के साथ ज्यादती नहीं तो और क्या है। पर बोले कौन? कोई कुछ करना भी चाहे ,लंगड़ी खींचने वालों की कमी नहीं है। 
जनता स्टोर मार्केट में घूम रहे कुछ लोगों से बात की थी। इनमें माथुर साहब बताने लगे, बापूनगर में वे चालीस साल से भी अधिक समय से रह रहे है। मगर आज जैसा जंगल राज नहीं देखा सच पूछो तो यह जगह मार्केट नहीं होकर पार्किंग प्लेस बन गया है। अराजकता के जंगल में पब्लिक मरे बेशक। सरकारी शेरों का क्या बिगड़ना है।
एंक्रोचमेंट की हालत लग भग सभी दुकानों की है। कानून का भय किसी में नहीं है।

बसंत बहार,जैमिनी,अग्रवाल जनरल स्टोर,सरस डेयरी, अमूल एजेंसी यहां से खरीददारी करना बहुत मुश्किल हो गया है। आगे आमलेट वाला, योगी मेडिकल, जेके ब्रदर्स,अपोलो फार्मेसी, यहां भी सब्जी वाले के चलते वाहनों का हमेशा जमघट मचा रहता है। पास में यूनिवर्सिटी और लडके लड़कियों के हॉस्टल्स के चलते स्टूडेंट्स का जमघट हमेशा रहता है। पुलिस थाना खुद मानता है की वहां गांजे बिकने के वाकिए होते है। इसकी खुली बिक्री होती है। इन सब के चलते मार्केट की इमेज खराब होती है। फिर हो भी रही है।चिंता की बात यह है की बापूनगर के अनेक ग्राहक बजाज नगर मार्केट जाने लगे है। जाहिर है कि इस पक्ष पर भी तुरंत विचार जरूरी है।



 


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