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अब भारत में हाईवे पर सफर के दौरान टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की है कि सरकार जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) आधारित टोल वसूली प्रणाली लागू करेगी। यह नई तकनीक वाहन की लोकेशन के आधार पर टोल वसूलेगी और राशि सीधे वाहन मालिक के बैंक खाते से कट जाएगी।
कैसे काम करेगा यह सिस्टम?
- हर वाहन में जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस लगाई जाएगी।
- वाहन की यात्रा दूरी के अनुसार टोल शुल्क तय किया जाएगा।
- वाहन मालिक को टोल प्लाजा पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी।
- यह प्रणाली कमर्शियल वाहनों में पहले से अनिवार्य है और अब निजी वाहनों में भी इसे लागू किया जाएगा।
जीपीएस आधारित टोल के फायदे:
- समय की बचत: टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत खत्म होगी।
- ईंधन की बचत: वाहन के रुकने से ईंधन खपत कम होगी।
- पारदर्शिता: टोल वसूली प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ेगी।
- राजस्व में वृद्धि: सरकार का अनुमान है कि टोल कलेक्शन अगले 5 सालों में ₹1.34 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।
टोल मुक्त भारत की दिशा में कदम:
नितिन गडकरी ने कहा है कि अगले दो वर्षों में देश को पूरी तरह से टोल प्लाजा मुक्त बनाया जाएगा। फिलहाल, जब तक यह प्रणाली पूरी तरह लागू नहीं होती, फास्ट टैग प्रणाली जारी रहेगी।
चुनौतियां और समाधान:
- पुराने वाहनों में जीपीएस डिवाइस लगाना चुनौतीपूर्ण: सरकार सब्सिडी देने और जागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रही है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी विस्तार: इस पर काम तेज़ी से चल रहा है।
सरकार की पहल:
इस तकनीकी बदलाव से भारत में सड़क यात्रा अधिक सरल, समय और लागत प्रभावी होगी। इसके साथ ही डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे नकद लेन-देन में कमी आएगी।