Free Ration: कौन सुनेगा दरिद्रो के मन की बात

varsha | Saturday, 27 May 2023 10:33:00 AM
Free Ration: Who will listen to the heart of the poor

जयपुर। ज्यादा समय पुरानी बात नही है। यही की दस बारह साल पहले की यह कहानी है। कच्ची बस्ती से लेकर पॉश कॉलोनी...राशन की दुकानें कही ना कहीं दिखाई दे जाती थी। किसी को गेहूं चाहिए था तो किसी को चीनी या फिर दाल और चाय की पत्ती जैसे जरूरी आइटम गरीबों तक सस्ती दरों पर मिल जाय ,इसके लिए राशन की दुकानों ने अच्छा काम किया था।

इसी का परिणाम था कि इस सुविधा को लेकर लोगों में विश्वास लोटने लगा था। मगर तभी प्रशासन ने एक नई व्यवस्था को आम जानो के कन्धों पर थोप दिया। उनका मकसद साफ था। इन गरीबों के हक की रोटी को मुसीबतों के जाल में फंसा दिया जाए। इसी कड़ी में सरकार के निर्देश थे की बोमेट्रिक मशीन में उस की उंगली का निशान जब तक नहीं लगेगा तब तक उसे राशन के आइटम नही मिलेंगे।

देखा जाय तो योजना बुरी भी नही थी।मगर हर बात के दो पहलू हुआ करते है।लोगों ने योजना का विरोध शुरू कर दिया।बापूनगर जैसी पौष कॉलोनी की राशन की दुकान एका एक लुप्त हो गई है। दुकान कहां गई। इसके संचालक कहां भूमि गत हो गए।गणेश नगर कॉलोनी में रह रही श्रमिक महिला के पास इसका जवाब है।  वह बताती थी, उन दिनों राशन की इन  दुकानों पर बासमति चावल की किनकी जो  बहुत सस्ती और हाई क्वालिटी थी,उसका वितरण किया जा रहा था।

इसी चक्कर में कुछ लोगों ने राशन की इस दुकान को ही हाई जेक कर लिया। बापूनगर के निवासी भटकते रहे,आज तक भी इस दुकान अता पता नहीं हैं।चाय चीनी के अलावा चावल और तूर की दाल की कहानी दिलचस्प है। शुरू में इसका स्वाद लोगों को पसंद आया। लंबी लाइन को परेशानी को भोग कर भी इन आय टमो को खरीदने लगे। राशन की दुकानों के अनेक संचालक बईमानी पर उतर आए।

जनता का राशन लोगों तक पहुंचने की अपेक्षा अनाज मंडी में लेजाकर मंहगी दरो पर बिकने लगा। आम जनता जब भी इन दुकानों पर जाया करती थी,तब या तो इन दुकानों पर मोटा ताला लटका मिलता था अथवा स्टाक में नहीं होने का फरमान सुनाया जाता था।पार्षद, पोस्ट वार्डन से जवाब मांगा गया, मगर वे भी हैरान थे। झालाना basty की महिला ने बताया की उनकी बस्ती की एक अधेड़ महिला ने बताया की उसे हाई ब्लड प्रेशर रहता है।इस पर चलने फिरने में दिक्कत होती है।

सरकार की नई व्यवस्था में इन दुखियारों को राहत देने जैसी कोई सुविधा ना होने पर वे दुखी रहने लगे। हमने कौशिश की ओर अपनी मजबूरी बताई मगर कोई रहम नहीं बख्शा  गया। परिवार के मुखिया के प्रतिनिधि को भी सरकारी राशन नहीं दिया। किया,मगर अम्मीजान को राशन की दुकान तक जाकर अपनी मैया का पिछले चार माह से सकीना के परिवार को राशन का अनाज नहीं मिला है।

यह बात केवल सकीना अकेली इस समस्या की शिकार नही हुई है। बहुत से लोग इस पीड़ा को झेल रहे हैं।बापू नगर के लोकल नेता कहते है कि राशन कार्ड परिवार के मुखिया के नाम पर ही बनता है। इन में अनेक लोग अवस्था अधिक होने पर चल फिर नही सकते। उनकी उंगली के चमड़ी खराब हो जाने पर बायोमेट्रिक मशीन फिंगर प्रिंट मैच नहीं कर पा रही है। बिना मैचिंग के पीड़ित परिवार को राशन का सामान नहीं मिल रहा है।

Pc:News18 Hindi



 


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