- SHARE
-
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं। अब कोचिंग संस्थानों को पारदर्शिता बनाए रखने, झूठे दावे न करने और छात्रों की गोपनीयता का सम्मान करने के लिए बाध्य किया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर ₹50 लाख तक का जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है।
मुख्य गाइडलाइंस:
-
पारदर्शी विज्ञापन अनिवार्य:
- पाठ्यक्रम, फीस, और सफलता दर के दावों में पारदर्शिता होनी चाहिए।
- फर्जी सफलता दर या पाठ्यक्रम की अधूरी जानकारी देना अपराध माना जाएगा।
-
झूठे दावों पर रोक:
- पाठ्यक्रम की अवधि, फीस, और अन्य सुविधाओं के बारे में झूठे दावे करना प्रतिबंधित होगा।
- फर्जी अर्जेंसी (जैसे "सीटें भरने वाली हैं") वाले विज्ञापन अब अवैध माने जाएंगे।
-
छात्रों की सहमति अनिवार्य:
- विज्ञापनों में सफल छात्रों की तस्वीर या व्यक्तिगत जानकारी के उपयोग के लिए लिखित अनुमति आवश्यक होगी।
-
स्पष्ट डिस्क्लेमर:
- विज्ञापनों में पहले स्लाइड पर डिस्क्लेमर स्पष्ट रूप से दिखाना अनिवार्य है।
-
सेफ्टी और इन्फ्रास्ट्रक्चर:
- संस्थानों को सुरक्षा उपाय, इमरजेंसी एग्जिट प्लान और सुविधाओं के बारे में जानकारी देनी होगी।
-
कंज्यूमर शिकायत समाधान प्रणाली:
- कोचिंग संस्थानों को शिकायत निवारण के लिए एक प्रभावी प्रणाली बनानी होगी।
उल्लंघन पर संभावित दंड:
- पहली बार नियम तोड़ने पर ₹1 लाख तक का जुर्माना।
- बार-बार उल्लंघन पर ₹50 लाख तक का जुर्माना और लाइसेंस रद्द हो सकता है।
सुरक्षा उपायों को बढ़ावा:
दिल्ली की हाल की घटनाओं को देखते हुए छात्रों की सुरक्षा के लिए आपातकालीन एग्जिट और अन्य उपायों को अनिवार्य किया गया है।