- SHARE
-
राजस्थान के अजमेर दरगाह को लेकर शिव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू पक्ष ने कोर्ट में मामला दायर किया है। इस दावे ने धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बड़ी बहस छेड़ दी है। कोर्ट ने दरगाह कमेटी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI), और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 20 दिसंबर 2024 को निर्धारित की है।
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती का बयान:
ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष और ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने इस विवाद पर अपनी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय सतर्क है और हर कानूनी उपाय अपनाएगा।
उन्होंने कहा, “यह दरगाह केवल मुस्लिम समुदाय की नहीं है, बल्कि यह सभी धर्मों के लोगों की आस्था का केंद्र है। धार्मिक स्थलों को लेकर ऐसे विवाद समाज में नफरत और असहमति फैलाते हैं।”
धार्मिक स्थलों पर विवाद का समाज पर प्रभाव:
चिश्ती ने कहा कि इस प्रकार के विवाद लाखों लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं और समाज में तनाव उत्पन्न करते हैं। उन्होंने सरकार से अपील की कि धार्मिक स्थलों को लेकर विवादों को रोकने के लिए ठोस कानून बनाए जाएं।
उन्होंने कहा, “अजमेर दरगाह शांति और भाईचारे का प्रतीक है, और इसे विवादों में नहीं घसीटना चाहिए। भारत को एकता की आवश्यकता है, क्योंकि यह देश के विकास के लिए अनिवार्य है।”