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समाचार जगत पोर्टल डेस्क। देखा जाय तो मां के संघर्ष और प्यार की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। उसके प्यार को हमेशा श्रेष्ठ का सम्मान दिया जाता है। इस आशय की पुष्टि के लिए एक दर्दनाक वाकिया यहां चर्चा का विषय बना हुवा है। वाकिए के अनुसार शहर की जवाहर नगर बस्ती में माला नाम की एक महिला, घास फूस के कच्छे झोपे में किराएदार के हैसियत से रहती है। परिवार में पिता का देहांत हो जाने पर उसकी मां ही उसका पालन पोषण करती है।
अभाव की जिंदगी में माला का बचपन गुजरता है। वह गरीबी को अपना नसीब नहीं मानती और ऊंचे ख्वाब देखा करती है।आसमान को छूने की कौशिश करती है। वह चाहती है की उसका शानदार बंगला हो। कई सारे नोकर हो और गाडियां हो। मगर सच उसे डराने लगता है। घर में बूढ़ी मां के अलावा दो छोटी बहने भी है। कंगाली की हालत में वह खुद और बहनों में कोई भी पढ़ा लिखा नहीं है। मगर दीमक बहुत ही तेज रखती है। मध्यम हाइट वाली यह महिला चंचल स्वभाव की है और दुनियां में कुछ कर गुजरने का विचार रखती है। समय के साथ यह महिला विवाह के योग्य हो जाती है।
एक गरीब श्रमिक के साथ उसकी शादी हो जाती है। विवाह का एक साल गुजरने पर उसे प्यारा सा बेटा होता है।जिसका नाम पप्पू रखती है। वह और उसके पति की एक ही मनसा होती है कि अपने पप्पू को पढ़ा लिखा कर बड़ा और काबिल बनाया जाय। यह सोच कर वह खुद भी अपने पति के साथ श्रमिक मंडी जाने लगती है। अपनी कमाई को वह घर में रखी गुल्लक में डाल कर जमा करने लगती है। ताकि इस पैसे से वह अपने बच्चे को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा पाय। एक दिन की बात है कि माला अपने सिर पर ईट रख कर छत की ओर जाने लगती है। तभी उसका नन्हा सा बच्चा पप्पू मां के पीछे पीछे जाने लगता है। माला को इसका पता नही होता,मगर साथी श्रमिक और उसके पति की नजर इस बालक पर पड़ जाती है। पप्पू को बचा ने के लिए वे सभी बच्चे की ओर दौड़ ते है। मगर पांव फिशल जाने पर वह सिर के बल नीचे गिर जाता है।
साथ वालें मजदूर उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाते है। मगर चिकित्सक उसे मृत घोषित कर देते है। किस्मत से पप्पू की जान तो बच जाती है,मगर उसके आंखों की रोशनी चली जाती है। इस हादसे के बाद माला टूट जाती है। हर वक्त विलाप करनें लगती है। मगर पास पड़ोसी और रिश्तेदारों की समझाइश के बाद अपना साहस बटोर ती है। इसी दौरान उसे किसी की ओर से सूचना मिलती है की किसी धनाढ्य व्यक्ति को किडनी और आंखों की आवश्यकता होती है। क्यों की किसी इन्फेक्शन के चलते उसकी दोनों किडनियां खराब हो जाती है। इसके बाद डाईब टीज से उसकी दोनों आंखों की रोशनी चली जाती है।माला इस पर इस परसेंट के परिवार से मिलने हॉस्पिटल चली जाती है।
वहां मौजूद एक वृद्ध को बताती है कि वह अपनी किडनी और आंखे डोनेट कर सकती है। धनी व्यक्ति माला की दर्द भरी दास्तान सुनकर काफी प्रभावित हो जाता है। वह माला को समझाता है की किडनी के साथ साथ दोनों आंखों को दान देकर अपने बच्चे को किस तरह महान बना सकती हैं.....? माला अपनी जिद पर अड़ी रहती है और धनी को बताती है कि उसकी आंखे ना रहने पर वह अपने मन की आंखों से अपने पुत्र को देख सकती है। यह सुन कर धनी व्यक्ति माला और उसके बेटे को अपने साथ अपनी कोठी ले जाता है। वह पप्पू को बड़ी स्कूल में भर्ती करवा देता है। पप्पू पढ़ने में काफी तेज होता है ।
मगर उसकी परेशानी यह है कि स्कूल में उसके दोस्त उसे अंधी मां कांबेटा कह कर चिड़ाते थे। उसने अपनी मां को समझा ने की कोशिश की कि वह उसकी स्कूल नहीं आय। मगर मां अपनी जिद पर अड़ी रहती है। मां के इस बरताव से वह अपनी जननी से नफरत करने लगता है। सेठ के प्रभाव में आने के बाद पप्पू को अच्छी नोकरी मिल जाती है और वह अपनी मां को छोड़ कर किसी बड़े मकान में रहने लगता है। माला को जब इसका पता चलता है तो उसे बड़ा दुख होता है। वह व्याकुल हो कर अपने बेटे के मकान को खोजने निकल जाती है। मगर किसी गाड़ी के नीचे आ जाती है।
तभी संयोग से पप्पू अपनी कार में सवार होकर अपने ऑफिस के लिए रवाना होता है तो उसे कुछ ही दूरी पर रोड पर लोगों की भारी भीड़ दिखाई देती है। वह कार से निकल कर एक्सीडींट की जगह पहुंचता है। वहां अपनी मां को मरा हुवा पाता है। यह देख कर वह रोने लगता है। मां की लाश को गोद में उठा कर वह जब अपनी कार की ओर रवाना होता है तो उसे एक पत्र मिलता है। इसमें माला के दर्द की सारी कहानी लिखी होती है। पप्पू अपनी गली पर पछताता है।इस वृतांत से उसे यह शिक्षा मिलती है कि हमें परिवार के सदस्य की स्थिति पर कभी भी शर्मीदा नहीं होना चाइए। मां और पिता का स्थान परमात्मा के समान होता है। उन की हर हालत में सेवा करना चाहिए।