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माचार जगत पोर्टल डेस्क। खिलौना केवल मन बहलाने का साधन नहीं होता, बल्की इसमें कल्चर और व्यक्तित्व छिपा होता है। इनमें बच्चों की जान बसती है। यह वाकिया बच्चों के इंडोर वार्ड का है। पच्चीस बिस्तर वाले इस वार्ड में सभी बच्चे ब्लड कैंसर से पीड़ित है। कुछ पेसेंटो में उपचार का पॉजिटिव असर दिखाई देने लगा है। करीब एक दर्जन बच्चों में यह बीमारी काफी फैल चुकी है। कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट के चलते बीमार बालक अचेत अवस्था में है।
कैंसर वार्ड का रूटीन बना हुवा है। सुबह के समय नर्सिंग स्टाफ व्यस्त है। डॉक्टर के राउंड के पहले बीमार बच्चों के बिस्तर की सफाई सफाई का दौर चल रहा है। बैड की चादरें और ओढने वाली सफेद चादर बदली जा रही है। हर बिस्तर के पास रखी स्टील की छोटी सी टेबल के ऊपर वाली रैक पर दवाइयां और इंजेक्शन चेक किए जाने का सिलसिला तेजी से होने लगा है। इस बीच कुछ समाजसेवी भी अपने हिसाब से गुलाब के फूल हर बीमार बच्चे को दिए जा रहे है। तो कोई तुलसी और गुलाब जल देने का सिलसिला शुरू है।
इस रविवार के दिन नई बात यह देखने मिल रही है कि एक बुजुर्ग जिनकी। उम्र अस्सी साल के लगभग होगी,इस वार्ड में प्रवेश करते है। हाथ में सफेद रंग का थैला लिए हर बच्चे के बैड के निकट जाकर कई तरह के खिलौने बच्चे के निकट रख देते है। किसी को एरोप्लेन तो कोई हेलीकॉप्टर पसंद करता है। वार्ड के बीच वाले बिस्तर पर कोई तीन साल की मासूम बैठी खिलौनों का इंतजार कर रही है। गोल गोल चेहरा है। खूबसूरत आंखे और सिर के बालों की चोटी सी चोटी और बाये हाथ में सस्ती सी,प्लास्टिक की घड़ी। स्नेह भरी नजरों से देखती है। यही बेड के निकट फोल्डिंक बैंच पर सीमा की मम्मी बैठी हुई पास के बिस्तर की बूढ़ी एटेनेंट से ना जाने।किस गपशप में बिजी है। वृद्ध समाज सेवी दामोदर बिस्तर के करीब आकर सीमा के सिर पर स्नेह से हाथ फेरता है। बच्ची के चहरे पर हल्की सी मुस्कान फूट पड़ती है। कई सारे खिलोने उसके बैड पर रखे गए है।
इसी में उसे कोई भी खिलौना चुनना है। एक बारगी रेड कलर की छोटी सी कार पसंद करती हैं। कार की ऊपर वाली सतह पर को नन्ही हथैली में लेकर अपने बिस्तर पर चलाकर बड़ी खुश होती है। मगर एक खिलौना,उसे आकर्षित करता है। रसोई का सारा सामान प्लास्टिक की छोटी थैली में पैक है। थैली ट्रांसप्लांट होने पर छोटा सा चूल्हा, तवा प्लास्टिक का बना हैं। फिर चकला बेलन। थाली और छोटे छोटे गिलास और थाली व कटोरी रखी दिखाई दे रही है।
कुछ देर बाद उसके मन पसंद की गुड़ियां को देखकर उसकी आंखों में चमक दिखाई देती हैं। गुड़िया खूब सूरत है। सुनहरे चमकुले बाल पीठ तक,हवा में झूल ते कमाल की खूब सुरती निखार रही है। छह इंच साइज वाली यह गुड़िया आसमानी रंग की लेटेस्ट डिजाइन वाली फ्रॉक बहुत खूबसूरत है। इसी कलर की लेगिंग मैच कर रही है। इसी गुडिया के साथ ही काजल की डब्बी। काले रंग की कुटिया बड़ी सुंदर दिख रही है। गुड़िया को अपने बिस्तर पर ,तकिए से सट कर इसे रखा गया है। गुड़िया का यह खिलौना सीमा को बहुत भा जाता है। अपनी आंखों से इशारा करके,समाज सेवी को बताने की कौशिश करती है...... । यह मेरी।
फिर मुस्करा कर गुड़िया अपनी चादर में छुपा लेती है। इसी बीच पतली कमर वाली नर्स सीमा के बिस्तर के पास आती है। हाथ में सिरिंज देख कर वह रोने लगती है। गुड़िया को छिपाने की कौशिश में इंग्लिश में नो नो शब्द से नर्स से नाराजगी जताती है। नर्स मुस्क रती है। और अजब सा ठुमका लगा कर अपने केबिन की ओर रवाना हो जाती है। कुछ ही देर के बाद सीनियर डॉक्टर्स की टीम वार्ड में प्रवेश करती है। चश्मे वाली डॉक्टर सीमा के करीब आकर मुस्कराने लगती है। सिराने रखी गुड़िया को छूने का नाटक करती है तो सीमा तेज स्वर में रोने लगती है। डॉक्टर की टीम आगे बढ़ जाती है।
दोपहर के समय सीमा और उसकी दादी दोनो सौ जाती हैं। सांझ के समय दोनों की आंखें खुलती है। मगर गजब......! यह क्या। गुड़िया गायब मिलती है। सीमा हैरान है। दादी हर और खोजती है। मगर गुड़िया का कोई अता पता नहीं लगने पर सीमा के चहरे पर मायूसी छा जाती है। पूरी रात एक ही रट। मेरी गुड़िया। कहां से आती उसकी गुड़िया। वार्ड के स्टाफ का कहना था की। सफाई करने वाले स्टाफ के पास देखी थी गुड़िया। फिर कहां गई। घटना का बुरा असर सीमा में दिखाई देता है।
देखते ही देखते उसकी हालत गिरने लगती है। चिकित्सक परेशान है। सीनियर को बुलाया जाता है। बेहोश सीमा के होठों पर एक ही स्वर मेरी गुड़िया मेरी गुड़िया .......! बुखार तेज हो जाता है। दवाई का असर ना होने पर सीमा को गीले कपड़े में रखा गया था। इसके बाद भी बदन आग सा सुलग रहा है। सांस की तकलीफ हो ने पर उसे ऑक्सीजन पर रखा गया था। मगर इस पर भी हालत में सुधार ना होने पर उसे आई सी यू में शिफ्ट करने की तैयारियां चल रही है। दो दिन बाद मेरा राऊंड चाइल्ड आई सी यू की ओर फिर से होता है। अफसोस सीमा का बिस्तर खाली है। कई लोगों से पूछताछ के बाद,नर्स का इशारा होता है।
शी इस नो मोर। कहां गई सीमा। उसकी यादें कई दिनों से परेशान कर रही है। सीमा के साथ उसकी गुड़िया। काफी तलाश के बाद। वार्ड के सफाई कर्मी के हाथों में,वही खूबसूरत गुड़िया दिखाई देती है। पूछने पर एक लाइन का जवाब…..। गटर में पड़ी थी।किसने डाली हमे क्या मालूम। इस बात की ड्यूटी हमारी नहीं है। सीमा गई। फिर उसकी गुड़ियां की कहानी आज भी याद आती है।