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समाचार जगत पोर्टल डेस्क। आम तौर पर महक के लिए डी ओ का उपयोग किया जाता है, मगर सावधान! इस के अधिक उपयोग से व्यक्ति ओटिस्टिक थी। उसे अपने कमरे में डीओ स्प्रे करने पर सकून मिलता था। परफ्यूम में एसेंस याने। इत्र की मात्रा डियोड्रेंट से ज्यादा होती है। एक नॉर्मल परफ्यूम में 25 परसेंट तक एसेंस हो सकता है।
इसका एक बार छिड़काव करने से दिन भर खुशबू बनी रहती है। जब की डीओ में इसकी मात्रा दो से तीन प्रतिशत तक पाई जाती है। इस लिए वह टिकाऊ नही होता। लेकिन यह पसीना आने से रोकता है। मगर इसमें खतरा यह होता है कि डी ओ में मौजूद एरोसोल में जहरीले कैमिकल और गैस मौजूद होती है। यही कारण है कि इसका उपयोग करने वालें की मौत हो सकती है।
आर्टोसोल गैस के रूप में ठोस कण और तरल कण का मिश्रण होता है।
यह नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनो हो सकता है। कंज्यूमर एजुकेटेड एंड रिसर्च सोसाइटी की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ डी ओ या एंटीपार्सपीरें स्किन आंख,और लीवर को नुकसान पहुंचाता है। इसमें डाले गए कुछ केमिकल अल्जाइमर और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकती है। यू एस एफ डी ए के अनुसार एयरोसोल स्प्रे या सौलवेट में मौजूद केमिकल गुर्दे के रोगियों के लिए खतरनाक है। इसमें उपयोग होने वाला एल्यूमिनियम काफी नुकसान दायक होता है।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक ऑरोडोल स्प्रे या सैल्वेट में मौजूद केमिकल को देर तक सूंघने पर हार्ट से जुड़ी समस्या हो सकती है। इससे सोफोकेशन होने पर इंसान की जान भी जा सकती है। गौर रहे कि डी ओ कैंसर का कारण बन सकता है। महिलाओ में चेस्ट कैंसर की शिकायत हो सकती हैं डोड्रेंट का उपयोग गहने पहनने के बाद नही किया जाय। वरना इसमें चूक होने पर गहनों की चमक खराब हो सकती है। इसके अलावा स्नान के तुरंत बाद गीले बदन पर डी ओ ओ का उपयोग किया जाता है, मगर सावधान! इस के अधिक उपयोग से व्यक्ति ओटिस्टिक थी। उसे अपने कमरे में डीओ स्प्रे करने पर सकून मिलता था।
परफ्यूम में एसेंस याने। इत्र की मात्रा डियोड्रेंट से ज्यादा होती है। एक नॉर्मल परफ्यूम में २५ परसेंट तक एसेंस हो सकता है।इसका एक बार छिड़काव करने से दिन भर खुशबू बनी रहती है। जब की डीओ में इसकी मात्रा दो से तीन प्रतिशत तक पाई जाती है। इस लिए वह टिकाऊ नही होता।
लेकिन यह पसीना आने से रोकता है। मगर इसमें खतरा यह होता है कि डी ओ में मौजूद एरोसोल में जहरीले कैमिकल और गैस मौजूद होती है। यही कारण है कि इसका उपयोग करने वालें की मौत हो सकती है। आर्टोसोल गैस के रूप में पर समस्या प्रोसेड फूड जैसे शुगर,मैदा, वनस्पति घी। मांस का अधिक सेवन, अल्कोहल से दूरी रखनी होती है। साथ ही तेज मसाले भी पसीने का कारण बन सकते है।