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जयपुर । जयपुर शहर में चोरी और सोने की चैन छीनने की वारदातें काफी बढ़ी है। झपट्टा मार बदमाशों के वारदातों का तरीका इस कदर फुर्ती से होता है की पीड़ित भौचक रह जाता है और बदमाश भारी भीड़ में भी भागने में सफल हो जाते है।
पुलिस विभाग का मानना है कि स्नैचिंग शब्द इसे छोटा अपराध होने का आभास देता है। मगर यह सच नहीं है। अक्सर ये अपराध हिंसक होते है, जिनमें से कुछ का अंत मौत के रूप में होता है।यह नए हिंसक अवतार में पुराना अपराध है। चैन स्नेचिंग की एक संगीन वारदात दिल्ली के मंगोलपुरी थाना इलाके में हुई थी। जहां 38 वर्ष की एक महिला चैन स्नेचरों की शिकार हो गई थी। पीड़िता ने जब इसका विरोध किया तो बदमाशों ने उसे काफी दूर तक घसीटा। घायल महिला को हॉस्पिटल लेजाया गया था, मगर कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया।
जयपुर में चैन स्नेचिंग की वारदातें सुने और भीड़ भाड़ वाली जगह,दोनों हो स्थल पर होती है। अफसोस इस बात का है कि सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के परिसर , जेके लोन हॉस्पिटल , ट्रॉमा हॉस्पिटल, किडनी ट्रांसप्लांट, यूरोलॉजी, ओर गैसट्रोलॉजी विभाग में तो बहुत ही अधिक होती है। मसलन बांगड़ इकाई में भरतपुर से एक पेसेंट को हार्ट का वाल्व के ऑपरेशन के लिए लाया गया था। एटेनेंट के कमीज में डेढ़ लाख रूपये थे,किसी ने साफ कर लिए। मरीज और उसके परिजन रोते रह गए। पुलिस में भी कोई राहत नहीं मिली। इस तरह के अनेक मामले देखने को मिलते है।
जेकेलोन हॉस्पिटल में तो मुख्य भवन में ही दो मरीज परिजनों के कीमती मोबाइल चोरी हो गए।चिंता की बात यह है की ये वारदात हॉस्पिटल के सुरक्षा गार्डों की पेट्रोलिंग के बाद भी हुई। इस मामले में पुलिस प्रशासन का कहना है कि पहले इस अपराध में तीन माह की सजा को नाकाफी बताया और अब चैन खींचने वाले अपराधियों को दो से पांच साल की सजा हो सकती है। इस मामले में यदि पीड़ित पक्ष घायल हो जाता है तो उसे 25 हजार रूपया का अतिरिक्त आर्थिक दंड भी भुगतना पड़ेगा। एक प्रस्ताव के जरिए धारा 379 में संशोधन करने और नए सेक्शन जोड़ने की बात की गई है।
धारा 379 ए वन जहां स्मेचिंग की परिभाषा तय करेगी,वहीं 379 बी स्नेचिंग के उन मामलों में लगाई जाएगी जिसमें पीड़ित को चोट आई है। या चाकू की नोक पर लूट की गई हो तो तीन साल की सजा दी जाएगी।
Pc:Times of India