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जनगणना 2024 का आयोजन सितंबर में शुरू होगा और यह पूरी प्रक्रिया डिजिटल माध्यम से संचालित की जाएगी। इसमें नागरिकों को आधार कार्ड, वोटर आईडी, और राशन कार्ड जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। हर 10 साल में होने वाली जनगणना भारत की सबसे बड़ी डेटा संग्रह प्रक्रिया है। 2021 में होने वाली जनगणना को COVID-19 महामारी के कारण स्थगित करना पड़ा था, लेकिन अब इसे 2024 में शुरू करने का निर्णय लिया गया है। यह प्रक्रिया लगभग 18 महीने तक चलेगी।
जनगणना की प्रक्रिया और नए नियम
2024 की जनगणना को पारदर्शी और समयबद्ध बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा।
- पहला चरण: हाउस लिस्टिंग और गृह सूची तैयार की जाएगी।
- दूसरा चरण: वास्तविक जनसंख्या की गणना होगी।
यह प्रक्रिया लगभग 33 लाख जनगणना कर्मचारियों के माध्यम से की जाएगी और मार्च 2026 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य है।
जनगणना के लिए आवश्यक दस्तावेज़
नागरिकों को अपनी पहचान और निवास से संबंधित सही जानकारी प्रदान करनी होगी। आवश्यक दस्तावेज़ों में शामिल हैं:
- आधार कार्ड: पहचान और निवास प्रमाण के लिए।
- वोटर आईडी कार्ड: नागरिकता और उम्र की पुष्टि के लिए।
- राशन कार्ड: परिवार की जानकारी के लिए।
- पैन कार्ड: वित्तीय स्थिति के लिए।
- पासपोर्ट (यदि उपलब्ध हो): अंतर्राष्ट्रीय पहचान के लिए।
दस्तावेज़ों की कमी होने पर भी नागरिकों की जानकारी मौखिक रूप से दर्ज की जाएगी। स्थानीय प्रशासन की मदद से जानकारी का सत्यापन किया जाएगा।
जनगणना का महत्व
जनगणना सरकार की योजनाओं, विकास परियोजनाओं और संसाधन वितरण के लिए आधार प्रदान करती है। यह साक्षरता दर, जनसंख्या घनत्व, बेरोजगारी, और लिंग अनुपात जैसे आंकड़े उपलब्ध कराती है, जो नीतियों के निर्माण में मददगार होते हैं।
देरी और चुनौतियां
COVID-19 महामारी के चलते जनगणना 2021 को स्थगित करना पड़ा, जिससे कई नीतिगत निर्णय प्रभावित हुए। वर्तमान में 2011 के आंकड़ों का उपयोग किया जा रहा है, जो अब अप्रासंगिक हो गए हैं।
जनगणना 2024 नागरिकों और सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। नागरिकों को चाहिए कि वे अपने दस्तावेज़ तैयार रखें और सक्रिय रूप से इस प्रक्रिया में भाग लें। इससे बेहतर नीतियों और संसाधनों का सही वितरण सुनिश्चित होगा।