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झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और आदिवासी समुदाय के प्रमुख समर्थक छत्रुराम महतो ने 87 वर्ष की उम्र में 18 नवंबर 2024 को अंतिम सांस ली। उनका निधन न केवल पार्टी बल्कि झारखंड की राजनीति के लिए भी एक बड़ी क्षति है।
अस्पताल में निधन
छत्रुराम महतो लंबे समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। उनकी स्थिति बिगड़ने पर उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उनके परिवार ने बीमारी की खबर को निजी रखा, जिससे उनके निधन की खबर पार्टी और समर्थकों के लिए एक झटके की तरह आई।
राजनीति में योगदान
महतो ने पांच बार गोमिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में जीत दर्ज की और आदिवासी एवं पिछड़े वर्गों के लिए अपने कार्यों से झारखंड और बिहार की राजनीति में अपनी छवि बनाई। बीजेपी को झारखंड में मजबूत करने में उनका अहम योगदान रहा। उन्होंने मंत्री के रूप में भी महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला।
पार्टी और समर्थकों में शोक
महतो के निधन पर बीजेपी नेताओं, कार्यकर्ताओं और अन्य राजनीतिक दलों ने शोक व्यक्त किया। प्रदेश अध्यक्ष ने इसे पार्टी के लिए "अपूरणीय क्षति" बताया। उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में जनता और नेताओं के शामिल होने की संभावना है।
चुनावी समीकरणों पर प्रभाव
झारखंड में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच महतो का निधन बीजेपी के लिए बड़ा झटका है। उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों में वोटिंग पैटर्न पर असर पड़ सकता है। उनका नेतृत्व पार्टी के लिए महत्वपूर्ण था, और उनके जाने से कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित हो सकता है।
महतो की विरासत
छत्रुराम महतो का जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा आदिवासी और पिछड़े वर्गों के हितों को प्राथमिकता दी। उनकी सादगी, निष्ठा और जनता के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें झारखंड की राजनीति में हमेशा यादगार बनाए रखेगी।