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केंद्र सरकार ने हाल ही में एकीकृत पेंशन योजना शुरू की है, जो केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी देती है। इससे निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी अपनी पेंशन सुविधाओं में सुधार की उम्मीद जगी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत ₹9000 न्यूनतम पेंशन संभव हो सकती है? आइए विस्तार से जानते हैं।
- बढ़ती मांग और प्रस्ताव
- EPS पेंशनर्स की मांग: चेन्नई EPF पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर न्यूनतम मासिक पेंशन को ₹9000 तक बढ़ाने की मांग की है।
- पेंशनभोगियों की संख्या: लगभग 75 लाख पेंशनभोगी EPS के तहत आते हैं, जो उचित वित्तीय समर्थन की अपेक्षा करते हैं।
- दिल्ली में हुआ विरोध प्रदर्शन
- पेंशन में बढ़ोतरी की मांग: जुलाई में, EPS-95 राष्ट्रीय आंदोलन समिति ने दिल्ली में प्रदर्शन किया, जिसमें न्यूनतम मासिक पेंशन ₹7500 करने की मांग की गई।
- समिति का प्रतिनिधित्व: यह आंदोलन लगभग 78 लाख पेंशनभोगियों का प्रतिनिधित्व करता है।
- वित्तीय प्रस्ताव और अस्वीकृति
- पिछले प्रस्ताव: श्रम मंत्रालय ने EPS-95 पेंशन को ₹2000 प्रति माह करने का प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा था, लेकिन इसे स्वीकृति नहीं मिली।
- निजी क्षेत्र में असंतोष: ऐसे प्रस्तावों की अनदेखी से निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा है।
- EPFO का योगदान और नियम
- कर्मचारियों का योगदान: EPFO के तहत, संगठनों को अपने कर्मचारियों के मूल वेतन का 12% प्रोविडेंट फंड में जमा करना होता है।
- बंटवारा: इसमें से 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है और 3.67% कर्मचारी भविष्य निधि में।
- भविष्य की दिशा: प्रस्ताव और सुधार
- वेतन सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव: श्रम मंत्रालय ने वेतन सीमा को ₹15,000 से बढ़ाकर ₹21,000 करने का प्रस्ताव दिया है।
- लाभ: इस प्रस्ताव के स्वीकृत होने पर अधिक कर्मचारी EPS और EPFO के लाभों का फायदा उठा सकेंगे।