क्या शांतनु नायडू होंगे रतन टाटा के वारिस? जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी

Trainee | Thursday, 21 Nov 2024 09:22:43 AM
Will Shantanu Naidu be Ratan Tata's successor? Know his inspiring story

 

रतन टाटा और शांतनु नायडू के बीच का रिश्ता गुरु और शिष्य से कहीं अधिक व्यक्तिगत और गहरा था। शांतनु नायडू, जो टाटा ट्रस्ट के सबसे युवा जनरल मैनेजर और सामाजिक उद्यमी हैं, को रतन टाटा ने अपने बेटे जैसा मानते थे। हालांकि, उन्हें टाटा समूह का औपचारिक वारिस नहीं माना गया है, लेकिन वे टाटा की सामाजिक विरासत को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

शांतनु नायडू: रतन टाटा के विश्वासपात्र

शांतनु नायडू ने 2022 में रतन टाटा के साथ काम करना शुरू किया। उनकी पहचान तब हुई जब उन्होंने सड़कों पर कुत्तों को सुरक्षित रखने के लिए रिफ्लेक्टिव कॉलर डिजाइन करने की एक पहल की। रतन टाटा, जो खुद एक पशु प्रेमी थे, इस प्रोजेक्ट से प्रभावित हुए।

इस प्रोजेक्ट के माध्यम से नायडू ने टाटा को एक पत्र लिखा, और यहीं से उनके रिश्ते की शुरुआत हुई। दोनों के बीच यह रिश्ता सिर्फ व्यावसायिक नहीं था; रतन टाटा ने उन्हें अपने निजी जीवन का हिस्सा भी बना लिया।

नायडू ने Goodfellows नामक एक स्टार्टअप शुरू किया, जो वरिष्ठ नागरिकों को साथी सेवा प्रदान करता है। इस प्रोजेक्ट में रतन टाटा ने निवेश किया, जो उनकी उद्यमशीलता और समाजसेवा के प्रति विश्वास को दर्शाता है।

क्या शांतनु नायडू होंगे टाटा समूह के उत्तराधिकारी?

हालांकि रतन टाटा और शांतनु नायडू का रिश्ता बेहद करीबी था, लेकिन टाटा समूह के नेतृत्व में नायडू का नाम आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है।

  1. टाटा समूह का नेतृत्व:
  2. वर्तमान में समूह की संचालन व्यवस्था एन. चंद्रशेखरन के नेतृत्व में है।
  3. परिवार के अन्य सदस्य:
  4. नोएल टाटा जैसे परिवार के अन्य सदस्य भी प्रमुख भूमिकाओं के लिए तैयार हैं।

शांतनु नायडू की भूमिका और भविष्य

शांतनु नायडू का भविष्य टाटा समूह के औपचारिक नेतृत्व में भले ही न हो, लेकिन उनकी भूमिका रतन टाटा की सामाजिक और मानवीय विरासत को संजोने में अहम हो सकती है।

  • सामाजिक दृष्टि को बढ़ावा:
  • शांतनु टाटा के मूल्यों को अपने सामाजिक और उद्यमशील कार्यों में आगे बढ़ा सकते हैं।
  • रिश्ते की मजबूती:
  • टाटा परिवार और शांतनु नायडू के बीच रिश्ता केवल व्यावसायिक नहीं था; यह दोस्ती और विश्वास पर आधारित था।

 

हालांकि शांतनु नायडू को टाटा समूह का आधिकारिक वारिस नहीं माना गया, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और उद्यमशीलता ने उन्हें रतन टाटा की विरासत का अभिन्न हिस्सा बना दिया। यह देखना दिलचस्प होगा कि वे आने वाले समय में टाटा की सामाजिक दृष्टि और मानवीय मूल्यों को कैसे आगे बढ़ाते हैं।

रतन टाटा और शांतनु नायडू का रिश्ता सिर्फ एक गुरु-शिष्य का नहीं, बल्कि एक प्रेरक कहानी का उदाहरण है, जो समाज और उद्योग दोनों को प्रेरित करती है।



 


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