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EPS-95 के पेंशनभोगियों ने कई अदालतों में याचिकाएं दाखिल की हैं, लेकिन दो दशकों से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी, सार्वजनिक और निजी संस्थानों के पेंशनभोगियों के लिए कोई ऐसा आदेश नहीं आया जो सभी पर समान रूप से लागू हो। अलग-अलग याचिकाओं पर निर्णय गुणदोष के आधार पर लिए जाते हैं, लेकिन मुद्दा Employees Pension Scheme-95 के एक ही नियम का है।
इन पेंशनरों को अदालतों की शरण में जाना पड़ता है क्योंकि उन्हें कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employee Pension Scheme 1995) के अनुसार उचित पेंशन (Pension) नहीं मिल रही है।
न्यायालयों में लंबित मामले हायर पेंशन के मुद्दे पर कई मामले अदालतों में लंबित हैं। अंतिम फैसला कब होगा, यह कहना मुश्किल है। देश के संचालन का जिम्मा हमने जिनको चुना है, वे संभालते हैं, लेकिन न्यायालय (Court) को हमने नहीं चुना, इसलिए समझ पाना कठिन है।
न्यायालय में भेदभाव (Court Discrimination) न्यायालय के प्रति निराशा इस कारण है कि वे आम और खास के बीच अंतर कैसे करते हैं। खास व्यक्ति की बात तुरंत सुनी जाती है, जबकि आम जनता को सिर्फ तारीखें मिलती रहती हैं। पेंशनरों के मामले वर्षों से अटके हुए हैं और इस बीच कई पेंशनर (Pensioners) गुजर चुके हैं। हाल ही में, जल्दी सुनवाई के लिए दिए गए आवेदन को खारिज कर दिया गया, क्योंकि अदालत ने इसे जरूरी नहीं समझा।
पेंशनरों की समस्याएं (Pensioners' Issues) पेंशनभोगियों की समस्या यह है कि वे अपनी बात अदालत में पूरी तरह से नहीं रख पाते। गलती किसकी है—वकील (Lawyer), पक्षकार, या अदालत—यह साफ नहीं हो पाता। सोशल मीडिया (Social Media) पर चर्चा के बावजूद, हजारों में से कुछ ही लोग अपनी बात खुलकर कह पाते हैं। बाकी के लिए इंतजार के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।
इसलिए, पेंशनर्स इंतजार करते रहते हैं। जो गुजर चुके हैं या अंतिम चरण में हैं, उनके लिए कोई संवेदना नहीं है—न अदालत की, न सरकार (Government) की, न EPFO की, न CBT की, और न ही उन नेताओं की जिन्होंने न्याय के लिए अदालत का रास्ता दिखाया। कर्मचारी पेंशन योजना 1995 (Employees Pension Scheme 1995) के पेंशनभोगियों की यही स्थिति है।