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यदि किसी बैंक खाते में नॉमिनी नहीं है और खाताधारक की मृत्यु हो जाती है, तो जमा राशि कानूनी उत्तराधिकारियों को दी जाती है। इसके लिए कानूनी दस्तावेज और प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। नॉमिनी जोड़ने से यह प्रक्रिया आसान हो जाती है और परिवार को अनावश्यक समस्याओं से बचाया जा सकता है।
नॉमिनी का महत्व:
बैंक खाता खोलते समय नॉमिनी जोड़ना एक महत्वपूर्ण कदम है। नॉमिनी वह व्यक्ति होता है जिसे खाताधारक की मृत्यु के बाद खाते की राशि मिलती है। नॉमिनी के विवरण (नाम, संबंध, आयु, पता, पैन नंबर आदि) को बैंक में दर्ज किया जाता है ताकि धनराशि आसानी से हस्तांतरित हो सके।
नॉमिनी न होने पर पैसा किसे मिलेगा?
यदि नॉमिनी नहीं है, तो बैंक खाताधारक की जमा राशि कानूनी उत्तराधिकारियों को प्रदान करता है।
- विवाहित व्यक्ति: पत्नी, बच्चे, और माता-पिता कानूनी वारिस हो सकते हैं।
- अविवाहित व्यक्ति: माता-पिता या भाई-बहन उत्तराधिकारी हो सकते हैं।
इस राशि को प्राप्त करने के लिए कानूनी दस्तावेज प्रस्तुत करने होते हैं।
जरूरी दस्तावेज और प्रक्रिया:
यदि बैंक खाते में नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी उत्तराधिकारियों को निम्नलिखित दस्तावेज जमा करने होंगे:
- डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाण पत्र)।
- केवाईसी डॉक्यूमेंट्स (आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि)।
- पासपोर्ट साइज फोटो।
- डिस्क्लेमर लेटर (Annexure A): सभी कानूनी उत्तराधिकारियों की सहमति का प्रमाण।
- इंट्रामेंट्री लेटर (Annexure C): संपत्ति प्राप्त करने का कानूनी दस्तावेज।
- निवास प्रमाण (रेजिडेंशियल प्रूफ)।
बैंक को इन दस्तावेजों की जांच करनी होती है, जो समय ले सकता है। यदि कानूनी उत्तराधिकारियों के बीच विवाद हो, तो मामला अदालत तक जा सकता है।
नॉमिनी जोड़ने के फायदे:
- खाताधारक की मृत्यु के बाद पैसा तुरंत नॉमिनी को मिल जाता है।
- कानूनी उत्तराधिकारियों को लंबी कागजी कार्यवाही से बचाया जा सकता है।
- बैंकिंग प्रक्रिया सरल और सहज बनती है।
निष्कर्ष:
बैंक अकाउंट में नॉमिनी जोड़ना बेहद जरूरी है। यह न केवल बैंकिंग प्रक्रिया को आसान बनाता है बल्कि परिवार के सदस्यों को अनावश्यक परेशानी से बचाने में मदद करता है।