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कई बार मकान मालिकों को किराएदार से समय पर किराया न मिलने की समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में झगड़ा करने या तनाव लेने के बजाय, कानूनी विकल्प अपनाना सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है। यह प्रक्रिया न केवल विवाद को हल करती है, बल्कि मकान मालिक के अधिकारों की रक्षा भी करती है।
रेंट एग्रीमेंट: विवाद से बचने का पहला कदम
रेंट एग्रीमेंट किराएदार और मकान मालिक के बीच संबंध का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है।
- इसमें किराए की राशि, भुगतान की तिथि, और किराया न देने पर होने वाले कानूनी परिणामों का उल्लेख होता है।
- यदि किराएदार समय पर किराया नहीं देता है, तो यह दस्तावेज़ कानूनी कार्रवाई का मजबूत आधार बनता है।
- विशेषज्ञ सुझाव: एडवोकेट सुधीर सहारण का मानना है कि बिना रेंट एग्रीमेंट के प्रॉपर्टी किराए पर देना कानूनी जटिलताओं का कारण बन सकता है।
कदम 1: कानूनी नोटिस भेजें
यदि किराएदार रेंट देने में असफल रहता है, तो सबसे पहले उसे कानूनी नोटिस भेजें।
- नोटिस में शामिल करें:
- बकाया रेंट की डिटेल
- भुगतान की अंतिम तिथि
- भुगतान न करने पर संभावित कानूनी परिणाम
यह नोटिस इंडियन कॉन्ट्रैक्ट एक्ट, 1872 के अनुसार होना चाहिए।
कदम 2: अदालत में केस दर्ज करें
अगर नोटिस के बावजूद किराया नहीं मिलता, तो मकान मालिक को अदालत का रुख करना चाहिए।
- निचली अदालत में केस दायर करें।
- यदि मकान मालिक ने सभी कानूनी शर्तें पूरी की हैं, तो अदालत किराया वसूलने और विवाद सुलझाने में मदद करेगी।
कदम 3: बेदखली कार्यवाही शुरू करें
जब किराएदार लगातार रेंट देने में असफल रहे, तो मकान मालिक बेदखली प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
- राज्यवार कानून: भारत में बेदखली कानून राज्य अनुसार अलग होते हैं।
- प्रक्रिया शुरू करने से पहले अनुभवी वकील से सलाह लें।
महत्वपूर्ण सुझाव:
- लिखित रेंट एग्रीमेंट:
- यह कानूनी रूप से मान्य होना चाहिए।
- शांत दृष्टिकोण अपनाएं:
- किसी भी झगड़े से बचें और विवाद को पेशेवर तरीके से हल करें।
- कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें:
- नोटिस और कोर्ट केस सभी कानूनी दायरे में रहकर करें।