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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) में 0.05% की वृद्धि की है। इसका सीधा असर होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन धारकों पर पड़ेगा। EMI में इजाफा होगा, जिससे लाखों कर्जदारों की जेब पर अतिरिक्त भार आएगा।
MCLR वृद्धि का कारण:
- जमा दरों में वृद्धि के कारण फंड जुटाने की लागत बढ़ी।
- SBI का 42% कर्ज MCLR आधारित है, जिससे इस बढ़ोतरी का व्यापक असर होगा।
प्रभावित अवधियां:
- तीन और छह महीने की MCLR: वृद्धि हुई।
- एक दिन, एक महीने, दो और तीन साल की MCLR: स्थिर।
- एक साल की MCLR: होम, कार और पर्सनल लोन के लिए प्रमुख दर।
ग्राहकों पर असर:
- EMI में वृद्धि: पुराने और नए कर्ज दोनों महंगे होंगे।
- नए लोन महंगे: नए कर्जदारों को अधिक ब्याज देना होगा।
- लोन रीसेट: MCLR आधारित लोन की दरें पुनः तय होंगी।
ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
- फिक्स्ड रेट लोन पर विचार करें।
- लोन रीसेट अवधि जानें।
- EMI बढ़ोतरी का आंकलन कर वित्तीय योजना बनाएं।