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कोलकाता : आरबीआई को ''ठहरकर सोचना'' चाहिए कि क्या वह ब्याज दर में बढ़ोतरी के मामले में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फ़ेडरल रिजर्व के अनुसरण ''हूबहू'' को जारी रख सकता है। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने यह बात कही।
घोष ने कहा कि उन्हें अल्पावधि में फ़ेडरल रिजर्व के दर वृद्धि चक्र का अंत नहीं दिख रहा है और ऐसे में आरबीआई के लिए अलग सोचने का वक्त है। उन्होंने कहा, ''मेरा कहना यह है कि क्या हम फ़ेडरल रिजर्व का हूबहू अनुसरण कर सकते हैं? किसी समय तो हमें रुकने और सोचने की जरूरत है कि क्या पहले की दर वृद्धि (आरबीआई द्बारा) का प्रभाव प्रणाली में कम हो गया है... मुझे नहीं लगता कि फ़ेडरल रिजर्व के चक्र का जल्द ही कोई अंत होगा।
वह तीन या इससे अधिक बार दरों में बढ़ोतरी कर सकता है।'' वह यहां भारत चैंबर ऑफ कॉमर्स द्बारा आयोजित एक सत्र में बोल रहे थे। देश की मुद्रास्फीति जनवरी 2023 में बढ़कर 6.52 प्रतिशत हो गई, जो आरबीआई के सहनशील स्तर छह प्रतिशत से अधिक है। इससे पहले 2022 के 12 महीनों में से 10 महीनों में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से अधिक रही थी।