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पीपीएफ बनाम एफडी: आमतौर पर बाजार में कई निवेश योजनाएं हैं, लेकिन बेहतर योजना चुनना मुश्किल काम हो सकता है, इसलिए आज भी लोग पीपीएफ या एफडी जैसी सरकारी योजनाओं पर भरोसा करते हैं।
ये दोनों योजनाएं बाजार के जोखिम से दूर हैं। अगर आप भी सरकार की पब्लिक प्रोविडेंट फंड स्कीम या एफडी स्कीम में से किसी एक में निवेश करना चाहते हैं तो हम आपको बताएंगे कि कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है।
सार्वजनिक भविष्य निधि योजना (पीपीएफ)
इस स्कीम में आप 15 साल तक निवेश कर सकते हैं. 15 साल के कार्यकाल के बाद आप इस योजना को 5 साल के ब्लॉक में 3 बार बढ़ा सकते हैं। इसमें आप न्यूनतम 500 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. फिलहाल इस योजना में जमा राशि पर 7.1 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है. इस योजना में कुछ शर्तों के साथ पीपीएफ प्री-मैच्योर क्लोजर किया जा सकता है। इसमें आपकी आय और मैच्योरिटी राशि दोनों आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी के तहत कर मुक्त हैं।
सावधि जमा (एफडी)
बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश विकल्पों में से एक है। एफडी में आपको 7 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश की सुविधा मिलती है। बाजार की स्थिति चाहे जो भी हो, आपको अपनी जमा राशि पर निश्चित ब्याज मिलता है। बचत खातों की तुलना में फिक्स्ड डिपॉजिट पर अधिक ब्याज मिलता है। भारतीय स्टेट बैंक आम जनता को 3% से 7.10% और वरिष्ठ नागरिकों को 3.50% से 7.60% तक ब्याज दे रहा है।
आपके लिए क्या बेहतर है?
निवेश के लिहाज से देखा जाए तो ये दोनों विकल्प बेहतर हैं। लेकिन ब्याज दर पर नजर डालें तो वर्तमान में पीपीएफ स्कीम एफडी से ज्यादा ब्याज दे रही है. अगर आप टैक्स लाभ के साथ-साथ लंबी अवधि की रिटायरमेंट बचत को प्राथमिकता देते हैं तो पीपीएफ आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन अगर आप लचीलेपन के साथ गारंटीड रिटर्न पाना चाहते हैं तो एफडी एक अच्छा विकल्प है। पीपीएफ एक सरकारी योजना है, इसमें 15 साल का लॉकिंग पीरियड होता है. अगर आप मैच्योरिटी के बाद पैसा निकालना चाहते हैं तो यह इजाजत 6 साल के बाद ही दी जाती है.