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भारत सरकार अब रेलवे सेक्टर के लिए भी PLI स्कीम लाने जा रही है. इसका उद्देश्य देश में रेलवे क्षेत्र के भीतर विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात को कम करना है, जिससे हजारों नौकरियां भी पैदा होंगी।
देश में जल्द ही रेलवे सेक्टर के लिए भी PLI स्कीम आने वाली है. जहां एक ओर यह देश के आयात बिल को कम करने में फायदेमंद होगा। साथ ही विनिर्माण क्षेत्र में हजारों नौकरियां भी पैदा होंगी. देश में रेलवे के विस्तार के चलते सरकार ने इस सेक्टर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम लाने का प्लान बनाया है.
देश में वंदे भारत ट्रेनों का नेटवर्क बढ़ रहा है. रेलवे के पुर्जों की आवश्यकता भी बढ़ती जा रही है। इसलिए सरकार चाहती है कि रेलवे के ज्यादा से ज्यादा हिस्से देश में ही बनें और इसके लिए पीएलआई स्कीम लाई जाए. इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इससे सरकार को आयात कम करने में मदद मिलेगी.
सरकार कंसलटेंसी फर्म की मदद लेगी
सरकार ने रेलवे क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना तैयार करने के लिए एक कंसल्टेंसी फर्म से मदद लेने की योजना बनाई है। यह फर्म उन पार्ट्स की सूची तैयार करेगी जिनका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है. ये हिस्से रेलवे इंजन में कोच बनाने से लेकर रोलिंग स्टॉक बनाने तक में काम आते हैं। सूची तैयार होने के बाद सरकार उनके लिए पीएलआई स्कीम लाएगी.
पीएलआई योजना के तहत सरकार कंपनियों को ऐसे सामान भारत में बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिनका बड़े पैमाने पर आयात किया जाता है। कारखाने लगाने के बदले में सरकार उन्हें उनके उत्पादन मूल्य के आधार पर प्रोत्साहन देती है।
वंदे भारत के 15% पार्ट्स का आयात
रेलवे क्षेत्र के लिए आगामी पीएलआई योजना देश में केवल दो प्रकार के रेल कोच 'लिंके हॉफमैन बुश' (एलएचबी) और वंदे भारत कोच रखने की सरकार की नीति के अनुरूप है। देश में एलएचबी कोच की शुरुआत 1999 में हुई थी। इस कोच के करीब 1.5 फीसदी हिस्से आयातित होते हैं। जबकि वंदे भारत के 15 प्रतिशत हिस्से आयातित हैं।
साल 2047 तक देश में करीब 4500 वंदे भारत ट्रेनें चलाने की योजना है. ऐसे में सरकार को बड़ी मात्रा में इनके पार्ट्स की जरूरत पड़ेगी. इसलिए इस सेक्टर में पीएलआई स्कीम शुरू होने से हजारों लोगों के लिए रोजगार भी पैदा होगा.