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PC: tv9hindi
भारत में लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन हो चूका है। 72 मंत्रियों के बीच मंत्रालय भी बांटे जा चुके हैं। हरदीप सिंह पुरी को एक बार फिर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय सौंपा गया है और इसके बाद उन्होंने एक अहम घोषणा की।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि केंद्र सरकार पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस जैसी वस्तुओं को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने का प्रयास करेगी। इस कदम से आम जनता को काफी राहत मिलने की उम्मीद है।
जानकारी के लिए बता दें कि पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधनों को जीएसटी के दायरे में लाने का ये प्रयास पहली बार नहीं है। जीएसटी प्रणाली के लागू होने और जीएसटी परिषद के गठन के बाद से ही इसके लिए प्रयास जारी हैं। जीएसटी परिषद की लगभग हर बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन राज्यों के बीच अभी तक इस पर आम सहमति नहीं बन पाई है।
राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर वैट को राजस्व का महत्वपूर्ण स्रोत मानती हैं। नतीजतन, वे राजस्व के नुकसान के डर से इन ईंधनों को जीएसटी के दायरे में लाने से कतराती हैं। इसके अलावा, राज्यों को शराब पर कर से भी अच्छी खासी आय होती है।
हालांकि, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले नवंबर में कहा था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने से उपभोक्ताओं को सबसे ज्यादा फायदा होगा। इससे देश के विभिन्न क्षेत्रों में इन ईंधनों की अलग-अलग कीमतों पर लगाम लगेगी।
पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात पर पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि सरकार ने 2030 तक पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल के मिक्स का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे अब 2025 तक ही पूरा किया जाने की कोशिश है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोलियम सेक्टर की पीएसयू में हिस्सेदारी बेचने के पक्ष में नहीं है.
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