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पोर्ट ब्लेयर। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मत्स्य पालन क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र बन सकता है। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने यह दावा किया।मंत्री ने कहा कि खासतौर से ग्रुपर्स, स्नैपर्स और टूना जैसी मछलियों का निर्यात काफी बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय हवाई संपर्क और मालवहन सुविधाओं को बढ़ावा देकर इन मछलियों (जीवित और जमी हुई) का निर्यात बढ़ाया जा सकता है।उन्होंने यहां एक साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया, ''इस जगह (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह) में सबसे बड़ा निर्यात केंद्र बनने की क्षमता है। यहां आपको 'ग्रुपर्स' और 'स्नैपर्स' की बहुतायत मिलेगी। इनकी थाईलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया में काफी मांग है।''
उन्होंने कहा, ''थाईलैंड सरकार ने हमारे अनुरोध पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से मछली ले जाने वाले जहाजों के लिए लगने वाले समय को 72 घंटे से घटाकर 36 घंटे कर दिया है। इससे हमें निर्यात प्रोत्साहन में मदद मिलेगी।''उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित 'नीली क्रांति' योजना के तहत अंडमान और निकोबार को 18.25 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसके तहत 2015-16 से 2019-20 के बीच 6.89 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा जारी किया गया।
इसके अलावा प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत मत्स्य विभाग अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 138 करोड़ रुपये के केंद्रीय हिस्से के साथ कुल 218 करोड़ रुपये का निवेश करेगा।
Pc:Hindi Goodreturns