यहां भक्त मंदिर में चढ़ाते हैं चप्पलों की माला, पूजा करता मुस्लिम

Samachar Jagat | Saturday, 12 Nov 2016 02:55:00 PM
 temple devotees offer garlands of slippers

बेंगलुरु। आपने मंदिरों में सोना-चांदी और फूलों की माला चढ़ाते हुए देखा होगा। लेकिन कभी आपने ऐसे मंदिर के बारें में सुना है जहां भक्त चप्पलों की माला चढ़ाते हो। कर्नाटक के गुलबर्ग जिले के गोला गांव स्थित लकम्मा देवी मंदिर में देवी मां को खुश करने के लिए लोग चप्पलें चढ़ाते हैं। मंदिर के सामने एक नीम का पेड़ है जिसमें लोग चप्पल बांधते हैं और देवी से मुराद मांगते हैं।

क्यों चढ़ाते हैं चप्पलों की माला
लकम्मा देवी का मंदिर कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंदा तहसील में है। यहां देवी को प्रसन्न करने के लिए चप्पलों की माला चढ़ाई जाती है। यही नहीं मन्नत के लिए भी मंदिर के बाहर लगे पेड़ पर चप्पल बांधी जाती है। एक चैनल की रिपोर्ट के मुताबिक इस मंदिर की एक और खासियत है। यहां मंदिर का पुजारी हिंदू नहीं बल्कि मुसलमान होता है। इस मंदिर में दिवाली के बाद आने पंचमी पर विशेष मेला भी लगता है। हर मंदिर के बाहर जहां प्रसाद की दुकान लगती हैं वहीं इस मंदिर के बाहर चप्पलों की दुकानें दिखाई देती हैं। 

माना जाता है कि पंचमी के दिन मंदिर वाले भक्त अगर माता से मन्नत मांगते समय पेड़ पर चप्पल बांधते हैं और जिन लोगों की मान्यताएं पूरी हो जाती है वह मंदिर में आकर देवी को चप्पलों की माला चढ़ाते हैं। गांववालों का कहना है कि एक बार देवी मां पहाड़ी पर टहल रही थी। उसी वक्त दुत्तारा गांव के देवता की नजर देवी पर पड़ी और उन्होंने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। देवी ने उससे बचने के लिए अपने सिर को जमीन में धंसा लिया।

तब से लेकर आज तक माता की मूर्ति उसी तरह इस मंदिर में है और यहां लोग आज भी देवी के पीठ की पूजा करते हैं। लोगों का कहना है कि पहले मंदिर में बैलों की बलि दी जाती थी लेकिन जानवरों की बलि देने पर रोक लगने के बाद बलि देना बंद कर दिया गया। रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद देवी मां क्रोधित हो गई और उन्हें शांत किया गया। इसके बाद में बलि के बदले चप्पल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

पंचमी के दिन खास मेला
दिवाली के बाद पंचमी के दिन इस मंदिर में खास मेला लगता है जो इस साल 6 नवंबर को था। इस दिन मंदिर में फुटवियर फेस्टिवल का आयोजन होता है जिसमें देशभर से हजारों लोग पहुंचे और माता के दर्शन करने के साथ ही पेड़ पर चप्पलों को भी बांधा।



 

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