नई दिल्ली। आपके दिमाग में अक्सर यह बात आती होती होगी कि आखिर वह कौन-सा जादू है, जिसकी वजह से पककर फूलने के बाद रोटी की दो परतें बन जाती हैं। दरअसल ऐसा कार्बन डाईऑक्साइड गैस की वजह से होता है। असल में होता यह है कि रोटी बनाने के लिए जब शुरुआत में हम आटे में पानी मिलाकर उसे गूंथते हैं, तब गेहूं में विद्यमान प्रोटीन एक लचीली परत बना लेती है, जिसे लासा या ग्लूटेन कहते हैं।
लासा की विशेषता यह होती है कि वह अपने भीतर कार्बन डाईऑक्साइड सोख लेती है। इसी कार्बन डाईऑक्साइड के कारण आटा गूंथने के बाद फूला रहता है और रोटी को सेंकने पर लासा के भीतर मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड बाहर निकल कर फैलने की कोशिश करती है।
इस कोशिश में वो रोटी के ऊपरी भाग को फुला देता है। जो भाग तवे के साथ चिपका होता है, उस तरफ एक पपड़ी-सी बन जाती है। ठीक इसी प्रकार दूसरी तरफ से सेंकने पर रोटी की दूसरी तरफ भी पपड़ी बन जाती है। इस तरह इन दो पपडियों के भीतर बंद कार्बन डाईऑक्साइड गैस और गर्म होने से पैदा हुआ भाप रोटी की दो अलग-अलग परतें बना देती है।
लासा का होना भी है आवश्यक : कार्बन डाईऑक्साइड गैस बनने के लिए आटे में लासा का होना जरूरी है। यही कारण है कि गेहूं की रोटी खूब फूलती है, मगर जौ, बाजरा, मक्का की रोटी या तो नहीं फूलती या बहुत कम फूलती है और इनमें स्पष्ट रूप से दो परतें भी नहीं बन पातीं, क्योंकि इन अनाजों में लासा की कमी होती है।