छत्तरपुर। मध्य प्रदेश के छत्तरपुर के एक गांव में स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने टॉयलेट का उपयोग किचन के रूप में किया जा रहा है। स्वच्छ भारत अभियान पूरे भारत में बड़े जोर शोर से चल रहा है। लेकिन कुछ जगह ऐसी भी हैं जहां टॉयलेट तो बनाये गये हैं लेकिन उनका इस्तेमाल किचन और दुकान के रूप में किया जा रहा है। प्रतिदिन अखबार, सोशल मीडिया और टीवी पर स्वच्छ भारत अभियान के विज्ञापनों का जोर-शोर से प्रचार हो रहा है।
लेकिन क्या सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं का सही उपयोग किया जा रहा है? यह एक बड़ा सवाल है। आज हम आपको इस बारे में ही अपने इस आलेख में बता रहें हैं कि सरकार द्वारा दी जा रही सहायता का किस प्रकार के लोग उपयोग कर रहें है।
मध्य प्रदेश के छत्तरपुर के एक गांव में स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत बने टॉयलेट का उपयोग किचन के रूप में किया जा रहा है। वहां के लोगों का कहना है कि टॉयलेट तो सरकार ने बनवा दिये हैं पर हमारे ग्राम प्रधान शायद इसका सेप्टिक टैंक बनवाना भूल गए हैं, तो कुल मिलाकर दिनेश यादव के घर का टॉयलेट बंद पड़ा है और फिलहाल वे इसका उपयोग किचन की तरह कर रहे हैं।
इसी क्षेत्र में रहने वाले लक्ष्मण कुमार कुशवाह कघर में भी इसी अभियान के तहत सरकारी सहायता से एक टॉयलेट और उसका टेंक बना था, पर यह इतना छोटा है कि इसका उपयोग किया ही नहीं जा सकता है इसलिए लक्ष्मण भसह टॉयलेट का इस्तेमाल एक दुकान के रूप में करने लगे है। यह मामला अब एडीएम छत्तरपुर और सीईओ जिला पंचायत के पास पहुंच चुका है और उनका कहना है कि वे कोशिश कर रहें हैं कि इस योजना में बने टॉयलेट के उपयोग की जांच हो और जो भी दोषी पाया जाए उसके खिलाफ कार्यवाही की जाए।