कभी अपने किसी हथिनी को जुटे पहनते देखा है ? लेकिन एक ऐसी हथिनी है जो अपने पैरो में जुटे पहन कर चलती है। दरअसल इस हथिनी के पैरों में घाव है जिसके कारन इसे चलने फिरने में काफी मुश्किल होती थी, तभी फिर इसके लिए जूते लाये गए। जिनकी मदद से 57 साल की 2.7 टन वजनी हथिनी को फिर से चलने फिरने में सुविधा होगी।
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पैरों में लगे कई सारे जख्म के बाद इस हथिनी को पलानी से इस साल जून में राजापलायम के एनिमल केयर ट्रस्ट लाया गया था। हथिनी लक्ष्मी का इलाज कर रहे पशुचिकित्सक पी रामचंद्रन बताते हैं कि पैरों में चोट की वजह से लक्ष्मी को 30 मीटर चलने में 15 मिनट लगता था। जब लक्ष्मी को राजापलायम सेंटर लाया गया था तब उसका वजन 2.4 टन था, लेकिन 5 महीने की ट्रीटमेंट के बाद उसका वजन 2.7 टन हो गया है।
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हर रोज उस हथिनी का महावत उसके घाव को धोते है, उनपर मरहम लगते है। फिर उसे पट्टी से कवर करते है। जिसके बाद लक्ष्मी (हथिनी का नाम) के पैरो में वो जुटे पहनाये जाते है। हर आठ घंटे के बाद लक्ष्मी के पैरों से जूते निकाल लिए जाते हैं। जूते पहनाने का मकसद ये होता है कि हथिनी लक्ष्मी के जख्मों पर लगी दवा देर तक टिकी रहे, जिससे घाव जल्दी भर सके। यह इलाज पिछले एक सालों से चल रहा है और इसकी वजह से अब लक्ष्मी हथिनी आराम से चलने लगी है।
हथिनी के लिए जूते डिजाइन करने का आइडिया एनिमल केयर ट्रस्ट के फाउंडर एसडी सेल्वरम राजा का था और इसे डिजाइन करने में एक महीने का समय लगा। लक्ष्मी के लिए तीन जोड़ी जूते डिजाइन किए गए थे जिसमें से एक को चुना गया। लक्ष्मी के लिए तैयार किए गए जूतों के तलवे हार्ड रबर से बनाए गए हैं। जूते के एक पेयर का वजन 5 किलो है। इसमें नॉयलॉन और कैनवास का भी इस्तेमाल किया गया है।
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