एडीएम में प्रथम आये जोधपुर के दुर्गेश बिस्सा आरएएस बने अपनी मेहनत और लग्न से इसके साथ ही एक और चीज़ थी जिसने इनको आरएएस बनने को जुनूनी कर दिया था, वो था अपने दोस्त से लगाया हुआ एक शर्त। सर उस शर्त के कारन इन्होंने इतनी ऊंचाई पायी। हैरान करने वाली तो बात ज़रूर है। दुरगेसग दरअसल पोकरण के रहने वाले है पिताजी इनके शिक्षक है ,पहले सेकेंडरी हायर पोकरण में पास किया फिर जेनएयू से पीजी और बीएड किया।
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फिर लेक्चररशिप के साथ इन्होने सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी शुरू कर दी। एक दिन अचानक दोस्तों के साथ बैठे थे दुर्गेश ,तभी एक दोस्त ने कहा 'तेरा तो आरएएस में सिलेक्शन होना मुश्किल है, फालतू की माथाफोड़ी कर रहा है ।
तभी उससे उस दिन 100 रूपए की शर्त लगाई और जम के मेहनत शुरू की।वह दिन भी आया जब 1995 में आरएएस के इंटरव्यू परिणाम घोषित हुए। और दुर्गेश सेलेक्ट हो गए।
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उसी दिन हम दोस्त वापस गांधी चौक में मिले और दोनों दोस्त ने खुशी से गले लगाते हुए 100 रुपए का नोट हाथ हाथ में थमाया। पांच साल के लेक्चररशिप के बाद आरएएस बनना एक सुखद एहसास था।
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