मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित दतिया महल का निर्माण राजा बीर सिंह देव द्वारा किया गया। इस महल में आज भी कई सुंदर और बेशकीमती मूर्तियां स्थापित हैं और महल की छत से नगर का खूबसूरत दृश्य देखने को मिलता है। दतिया महल को कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे सतखंडा महल, पुराना महल, बीर सिंह देव महल और गोविन्द महल।
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दतिया महल एक पहाड़ी के ऊपर बनाया गया है और यह ग्वालियर से लगभग 67 किलोमीटर की दूरी स्थित है। यह सात मंज़िला इमारत है, जिसके दो मंज़िल भूमि के नीचे स्थित हैं। महल का निर्माण किसी भी लकड़ी और लोहे के बिना, पत्थर और ईंटों द्वारा किया गया है। यह पूरी सात मंज़िला इमारत बिना किसी धातु या लकड़ी के सहारे आज तक खड़ी है।
दतिया महल कभी भी किसी शासक का निवास स्थल नहीं रहा। यहां तक कि राजा बीर सिंह देव भी यहाँ कभी नहीं रहे। महल में लगभग 440 कमरे हैं और जगह-जगह पर आंगन हैं, इस महल को बनने में लगभग 9 साल का समय लगा। बीर सिंह देव महल की दीवारें खूबसूरत और अद्भुत चित्रों से सजी हुई हैं। इन चित्रों को फलों और सब्जियों से तैयार किए गए रंगों यानि जैविक रंगों से बनाया गया था।
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दतिया महल भारत-इस्लामिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। मुग़लई और राजपूतानी शैली का मिश्रण, इस महल को शानदार दृश्य प्रदान करता है। दतिया महल के परिसर में ही एक गणेश मंदिर, दुर्गा मंदिर और दरगाह स्थापित हैं। महल के अंदर सुन्दर प्रवेश द्वार, विशाल प्रांगण, आकर्षक खिड़कियां, शहर का दिखता खूबसूरत नज़ारा और दीवारों पर लगे कुछ खूबसूरत चित्र यहां के निर्मल आकर्षणों में से एक हैं। महल के अंदर सुंदर प्रवेश द्वार, विशाल प्रांगण, आकर्षक खिड़कियां, शहर का दिखता खूबसूरत नज़ारा और दीवारों पर लगे कुछ खूबसूरत चित्र यहां के आकर्षणों में से एक हैं।
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