भारतीय संस्कृति और उसकी विशेषताओं के प्रतीक के तौर पर मौजूद ऐतिहासिक स्थल, स्मारक आज भी भारत के इतिहास का बखान करते है। दुनिया के कोने-कोने से लोग यहां की संस्कृति सभ्यता को देखने आते है। ऐसा ही एक शहर भारत में स्थित है जिसे खजुराहो के नाम से जाना जाता है। खजुराहो के मंदिर की अपनी विशेषताएं है। यहां के मंदिर अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण संपूर्ण विश्वभर में प्रसिद्ध है।
दुनिया बदल गई लेकिन आज भी नहीं बदले ये शहर
यहां पत्थरों पर प्रेम सौंदर्य का नायाब उदाहरण देखने को मिलता है जिसे बड़ी खूबसूरती से इन मंदिरों में उकेरा गया है। यह मूर्तियां खजुराहों के मंदिरों की केवल बाहरी दीवारों पर उकेरी गई है। काम की विभिन्न मुद्राओं को दिखाती इन मूर्तियों की सुंदरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जब भी इन पर नजर पड़ती है तो मन में किसी तरह की बुरी इच्छा जागृत नही होती। लेकिन सबके दिमाग में ये सवाल जरुर कौंधता होगा कि आखिर उस समय में आखिर किन कारणो के चलते मंदिर के बाहरी भाग में इस तरह की मूर्तियां स्थापित की गई...
तो चलिए आपको बताते है इनके पीछे छुपी उन मान्यताओं के बारे में जो इन्हें स्थापित करने के पीछे बताई जाती है। खजुराहों के मंदिर में उकेरी गई इन कलाकृतियो को लेकर एक मत नही है। कुछ लोग इसका सीधा संबध हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार से लगाते है तो कुछ लोग इसका संबध सेक्स एजुकेशन से लगाते है ताकि लोग काम के प्रति जागरुक रहे।
प्राकृतिक सुंदरता से भरा हुआ है मैनपाट
कुछ विश्लेषकों के मत के अनुसार प्राचीन समय में राजा- महाराजा भोग- विलासिता में अधिक जुड़े रहते थे। जिसके कारण उन्होंने नग्न एवं संभोग की मुद्रा में इन मूर्तियों का निर्माण करवाया। वही कुछ लोगों ने इसके पीछे का सीधा संबध हिंदू धर्म के अस्तित्व से लगाया है।
कहते है उस समय बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार इस आवेग में हो रहा था कि चंदेल वंश ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने के लिए ये तरीका अपनाया। सेक्स की तरफ लोगो का रुझान इन मंदिरो तक उन्हें आकर्षित करेगा। लोग इन्हें देखने आएंगे और मंदिर के अंदर स्थापित हिंदू धर्म के भगवान के दर्शन भी करेंगे ।
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