गुजरात के गांधीनगर जिले के रुपाल गांव में हर साल की अंतिम नवरात्रि में घी की नदियां बहती हैं। यहां की मान्यता के अनुसार यहां विराजित वरदायिनी माता को अगर पूरी श्रद्धा से घी चढ़ाया जाए तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है। इस अवसर पर यहां एक बहुत बड़े उत्सव का भी आयोजन किया जाता है।
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इस उत्सव को पल्ली उत्सव के नाम से जाना जाता है। गुजरात में पल्ली का मतलब लकड़ी के ढांचे से होता है जिसमे पांच ज्योतियां होती हैं। इन पांचो ज्योतियों में घी चढ़ाकर मां को अर्पण किया जाता है। एक अनुमान के अनुसार हर साल इस उत्सव में 4 लाख किलो से भी ज्यादा घी मां पर चढ़ाया जाता है।
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जब यह घी ज़मीन पर गिरता है तब कोई भी पशु इसे अपने मुंह से नहीं लगाता है और न ही इस घी से किसी के कपड़े खराब होते हैं। ज़मीन पर पड़े इस घी को यहां के एक ख़ास परिवार के लोग ही उठाते हैं और साल भर इस्तेमाल के लिए अपने पास रखते हैं।
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