झारखंड की राजधानी रांची से कुछ ही दूरी पर एक छोटा कस्बा है मैक्लुस्कीगंज। इस कस्बे को एंग्लोइंडियन समुदाय के व्यवसायी अर्नेस्ट टिमोथी मैकलुस्की ने 1933 में बसाया था। घने जंगल और आदिवासीयों के इस कस्बे में प्रकृति का भरपूर मजा लिया जा सकता है। यहां आपको जरूरत की सभी चीजें मिलेंगी। इसे भारत के मिनी लंदन के नाम से भी जाना जाता है, यह छोटा सा कस्बा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस पुल पर चलते हैं जहाज
मैकलुस्कीगंज और आस-पास के गांवों में 365 बंगले बने हुए हैं, जहां एंग्लो इंडियन समुदाय के लोग रहते थे। असल में, एक समय ऐसा आया जब अंग्रेज सरकार ने एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ लिया। इस स्थिति में एंग्लो इंडियन समुदाय के प्रति बड़ा संकट खड़ा हो गया। तब मैकलुस्की ने अपने समुदाय को इसी गांव में बसाया।
बहुत ही खतरनाक हैं भारत के ये पर्यटन स्थल
धीरे-धीरे एंग्लो समुदाय के लोग आस-पास से ही नहीं, बल्कि दूर-दूर से यहां आना शुरू हो गए। इस समुदाय के लोगों ने यहां कई आकर्षक बंगले बनाए और वहीं रहने लगे। देखते ही देखते पश्चिमी संस्कृति के रंग-ढंग और एंग्लो समुदाय के लोगों की मौजूदगी ने इस क्षेत्र को लंदन का रूप दिया और तभी से यह कस्बा गांव मिनी लंदन के नाम से मशहूर हो गया। अगर आप भी किसी ऐसी जगह पर जाना चाहते हैं जहां जाकर आपको एंग्लो इंडियन समुदाय के बारे में जानकारी हांसिल हो सके तो आप यहां जा सकते हैं, यहां की सभ्यता और संस्कृति एकदम अलग है।
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