इस महल के हवादार झरोखों ने बनाया इसे जयपुर की शान

Samachar Jagat | Thursday, 16 Feb 2017 08:30:01 AM
Hawa Mahal in jaipur

जयपुर की रानियां और राजकुमारियों के लिए विशेषतौर पर बनाए गए हवा महल का निर्माण वर्ष 1799 में महाराज सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इसका मकसद सिर्फ यह था कि विशेष मौकों पर निकलने वाले जुलूस व शहर आदि को रानियां देख सकें। इस खूबूसूरत भवन में कुल 152 खिड़कियां और जालीदार छज्जे हैं।

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हवा महल राजपूत और मुगल कला का बेजोड़ नमूना है। हवादार झरोखों के कारण इसे हवा महल का नाम दिया गया। यह बड़ी चौपड़ बाजार में स्थित है। इसके वास्तुकार उस्ताद लालचन्द थे। दो चौक की पांच मंजिली इमारत के हवामहल की पहली मंजिल पर शरद ऋतु के उत्सव मनाए जाते थे। यह मंजिल रत्नों से सजी हुई है, इसलिए इसे रतन मन्दिर भी कहते हैं।

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इसके ऊपर की मंजिल में एक मन्दिर है, जहां महाराजा अपने आराध्य गोविंद देव पूजा-आराधना करते थे। चौथी मंजिल मको प्रकाश मन्दिर है और पांचवीं मंजिल को हवा मन्दिर कहते हैं। हवा महल की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि इसे सिरह ड्योढी बाजार से देखा जाए तो इसकी आकृति श्रीकृष्ण के मुकुट के समान दिखती है।

(Source - Google)

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