माणा भारत का आखिरी गांव है, ये बद्रीनाथ से 3 किमी ऊंचाई पर बसा हुआ है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 19,000 फुट है, यह गांव भारत और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है और यहां रडंपा समुदाय के लोग रहते हैं। यहां की जड़ी-बूटियां बहुत ही प्रसिद्ध हैं, वह व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक होती हैं। पथरी के रोगियों के लिए तो ये औषधियां किसी वरदान से कम नहीं हैं।
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यहां के लोग इसे स्वर्ग का मार्ग मानते हैं और इस रास्ते से गुजरना अपना सौभाग्य समझते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि जब पांडव इस पुल से होकर गुजरे थे तब यहां दो पहाड़ियों के बीच में खाई थी। जिसे पार करना बहुत ही मुश्किल था, इस कारण भीम ने एक चट्टान को उठाकर फेंका और ये खाई पुल में परिवर्तित हो गई।
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अगर आप इस गांव को देखने के लिए आते हैं तो आप यहां पर स्थित वसुधारा वाटरफॉल देखना ना भूलें। इस झरने में पानी 400 फीट ऊंचाई से गिरता है और देखने पर ऐसा लगता है जैसे मोतियों की बौछार हो रही हो। यहां की मान्यता के अनुसार इस झरने के पानी से वही भीगता है जो पापी नहीं होता है, पापी को इस झरने का पानी नहीं भिगोता है।
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