मध्य प्रदेश के सागर जिले में ‘गढ़ पहरा’ नामक स्थान है। माना जाता है कि यहां पर आत्माऐं घूमती हैं। हजारों साल पहले खतरनाक करतब दिखाने के दौरान एक नटिन के साथ यहां की रानी ने धोखा किया था। इस धोखे की वजह से नटिन की मौत हो गई थी। नटिन की मौत के वियोग में नट की भी जान निकल गई थी। इसी कारण नटिन की आत्मा आज भी यहां भटक रही है। गढ़ पहरा किले को लोग भुतहा मानते हैं। यहां शाम के बाद लोग डर की वजह से अकेले नहीं जाते। यहां के लोगों का दावा है कि तब से लेकर आज तक नट-नटिन की आत्मा किले और महल के आस-पास घूमती रहती है।
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महल से जुड़ी कहानी :-
नट और नटिन से जुड़ी कहानी के मुताबिक किसी जमाने में यहां एक बूढ़े राजा का शासन था। बुंदेलखंड में पड़ने वाला ‘गढ़ पहरा’ उसकी राजधानी थी। उस दौरान राज्य में एक नट और नटिनी के खतरनाक करतबों और रस्सी पर चलने के दौरान उनके संतुलन की खूब चर्चाएं होती थी। राजा ने भी नटों का ये करतब देखने की इच्छा जताई। बूढ़े राजा की इच्छा के मुताबिक मंत्रियों ने नटों को राज दरबार पहुंचने का संदेशा भेजा।
नट अपनी पत्नी के साथ राजा के दरबार पहुंचा। कहते हैं कि नट की पत्नी बहुत खूबसूरत थी। दरबार में राजा ने नट से कहा राज्य में तुम्हारे करतबों की काफी तारीफ हो रही है। मैं भी तुम्हारा एक हैरतअंगेज करतब देखना चाहता हूं। अगर सच में तुमने ऐसा करतब करके दिखाया तो पुरस्कार के रूप में आधा राज्य दे दिया जाएगा। बूढ़े राजा ने नट को जो करतब दिखाने के लिए कहा था, वह बहुत खतरनाक था। दरअसल, इस करतब में किले के ऊंचे परकोटे से लेकर दूसरी ओर पहाड़ों में एक रस्सी बांधी जानी थी। बीच रास्ते में गहरी और खतरनाक खाई थी।
इस रस्सी पर चलकर नटिन को उस पार पहुंचना था। राजा की इस इच्छा पर नट और नटिन असमंजस में पड़ गए। पहले उन्होंने कभी इतना खतरनाक करतब नहीं किया था। इसे करने में उनकी जान भी जा सकती थी और अगर वे इनकार करते तो बूढ़ा राजा उनसे नाराज हो सकता था। वे राजा को भी नाराज नहीं करना चाहते थे। लिहाजा नटों ने करतब के लिए अपनी हामी दे दी।
तुरंत ही राजा के आदेश पर करतब की तैयारी शुरू हो गई। उन्होंने वो रात जागकर गाते हुए बिताई। उनकी आवाज बूढ़े राजा के महल तक पहुंच रही थी। कहते हैं कि गीत के बोल कुछ ‘गई रात और पहर थोड़े३’ थी। किवदंती के मुताबिक़ बूढ़े राजा का बेटा, उस रात अपने पिता की ह्त्या करना चाह रहा था। उसे राज्य की सत्ता का लालच था। यह भी कहते हैं कि उसी रात शादी नहीं होने से परेशान राजा की बेटी भी महल छोड़कर भागना चाहती थी, जबकि उसी रात राजा की पत्नी भी इस बात से दुखी थी कि करतब दिखाकर नट-नटिन उनका आधा राज्य ले लेंगे।
नटिन के गाने को सुनकर राजा के बेटे ने अपना मन बदल लिया। उसने सोचा, अब बूढ़ा पिता कितने दिन जीवित रहेगा? जबकि, बेटी ने भी यह सोचकर अपना मन बदल लिया कि जैसे इतने दिन बीत गया है, वैसे ही कुछ और दिन गुजर जाएंगे। सुबह तय वक्त पर इस खतरनाक खेल को देखने के लिए हजारों की संख्या में राज्य की जनता उमड़ पड़ी। नट ने नगाड़े की थाप दी और रस्सी पर चलकर खाई पार करने का खतरनाक खेल शुरू हो गया। नटिन बांस की डंडी के सहारे रस्सी पर चलने लगी। कथा के मुताबिक रस्सी पर गजब का संतुलन दिखाते हुए नटिन कुछ ही देर में आधे रास्ते तक पहुंच गई थी। उसके ऐसा करते ही रानी की चिंताएं बढ़ने लगी।
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नटिन पर राजा की आसक्ति देखकर रानी को लगा कि कहीं राजा नटिन से विवाह न कर ले। तभी रानी ने एक खतरनाक फैसला लिया। जिस रस्सी पर नटिन चल रही थी, रानी ने उसे कटवा दिया। नीचे चट्टानों पर गिरने से नटिन की मौत हो गई। जबकि नटिन के वियोग में नट ने भी नगाड़े पर थाप देते-देते अपनी जान दे दी। कहते हैं कि नट-नटिन की मौत के कुछ ही दिन बाद बूढ़े राजा का पूरा राज्य तहस-नहस हो गया।
सागर में किले से सटे हाईवे पर रात के दौरान कई वाहन चालकों ने एक महिला को टहलते हुए देखने का दावा किया है। लोग मानते हैं कि ये उसी नटिन की आत्मा है, जिसकी जान रानी के धोखे में चली गई थी। कुछ लोगों ने किले के पास रात में दर्द भरे गीत भी सुनने का दावा किया है। वैसे, यहां प्रचलित दंतकथाओं में भी कहा जाता है कि नट-नटिन रात के दौरान रोज वही दुखभरा गीत गाते हैं, जो उन्होंने करतब से पहले रात में गाया था।
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