राजस्थान में स्थित बांसवाड़ा जिला पुरातात्विक संस्कृति का प्रमुख केंद्र है। यहां का गौरवमयी इतिहास पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां पर आदिवासियों की संख्या अधिक है, इसी कारण यहां का रहन-सहन, रीति रिवाज, पहनावा, खान-पान सब कुछ अलग है। यह मेवाड़, मालवा व गुजरात की संस्कृतियों का त्रिवेणी संगम है और यहां पर तीनों सभ्यताओं का मिला-जुला रूप देखने को मिलता है। बांसवाड़ा के अरथूना ग्राम के पास टेकरियों की खुदाई में निरन्तर निकल रहे 11 वीं सदी के मन्दिरों, मूर्तियों एवं भवनों से इस क्षेत्र की एक हजार वर्ष पुरानी सभ्यता का पता भी चलता है।
पर्याप्त प्रचार-प्रसार के अभाव में पर्यटकों के लिए तरस रहा है तिराना
बहुत की खूबसूरत हैं गुवाहाटी के मंदिर
बांसवाड़ा-डूंगरपुर की सीमा पर माही-सोम व जाखम नदियों के संगम स्थल पर स्थित बेणेश्वर धाम, आबूदरा, घोटीया आम्बा, छींच, त्रिपुरा सुन्दरी यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। यहां पर स्थित रामकुंड, घोटीया आम्बा, भीमकुण्ड तथा सीतामाता स्थान आज भी रामायण एवं महाभारत कालीन युग की याद दिलाते हैं। आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा इस स्थान को तप करने का प्रमुख स्थान माना जाता था।
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