मुंबई। सरकार ने इस साल समेकन लेवी (समान करारोपण) के दायरे में वृद्धि को टालते हुए इसका बजट में कोई उल्लेख नहीं किया है। वहीं, इससे जुड़े लोगों का कहना है कि आने वाले महीनों में भी ऐसा ही होने की उम्मीद है।
नई परिभाषा के अनुसार, सरकार भारत में ऑनलाइन कमाई करने वाली सभी मल्टीनेशनल कंपनियों पर 6 प्रतिशत कर लेवी के बारे में देख रही है।
वरिष्ठ विशेषज्ञों का कहा है कि बोलचाल में इसे गूगल कर कहते हैं, और जो कंपनियां भारत में ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करती हैं जैसे - आईबीएम, माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन वेब सेर्विसेज, एप्पल और नेटफ्लिक्स जल्द ही इसमें फंस सकती हंै।
भारत कर डिजिटल लेनदने वाला पहला देश बन गया, जब उसने पिछले साल जून में मल्टीनेशनल कंपनियों के विज्ञापन के राजस्व पर 6 प्रतिशत समेकन लेवी की शुरुआत की। वरिष्ठ कर विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया के आधार पर, अब सरकार इस दायरे को बढ़ा सकती है। ईटी ने पिछले साल दिसंबर में इसमें कुछ बदलाव के बारे में सबसे पहले बताया था।
करों में बढ़ोत्तरी के मुख्य कारण, इस समेकन लेवी का वास्तविक बोझ 6 प्रतिशत से बढक़र 7-8 प्रतिशत हो सकता है। वर्तमान में समेकन लेवी केवल ऑनलाइन विज्ञापनों पर लागू है, जिसमें फेसबुक, गूगल, याहू और लिंक्डइन सहित कुछ ही कंपनियों प्रभावित होती हैं। लिंक्डइन से अलावा इनमें से अधिकांश कंपनियां अपने ग्राहकों के लिए अतिरिक्त खर्च करती है।
जो लोग स्मार्टफोन के लिए एप बनाते हैं, उनका कहना है कि सरकार चरणबद्ध तरीके से समेकन लेवी का दायरा बढ़ाना चाहती है।
यह बहुत जल्दी निर्णय लिया गया, यह लेवी इस साल दिसंबर से गूगल और एप्पल जैसे प्लेटफॉर्म से एप्लिकेशन खरीदने पर लागू होगा। हालांकि, इसके बारे में जानकारी रखने वालों का कहना है कि अन्य नियामक बदलावों के कारण यह लेवी को बजट के लिए टाल दिया गया।
इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि समेकन लेवी लागू होने से मल्टीनेशनल कंपनियां अपने देश में क्रेडिट का दावा कर सकती है। हालांकि, इस समय अन्य किसी देश में ऐसा कर नहीं हैं, इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए इस तरह का दावा कठिन होगा। ज्यादातर मामलों ये बहुराष्ट्ीय कंपनिया को अपने ग्राहकों और विज्ञापनदाताओं के लिए लागत को खर्च करती है।
आर्थिक सहयोग के लिए संगठन और विकास का आधार क्षरण और कर ई-कॉमर्स लेनदेन के लिए लाभ स्थानांतरण की परियोजना के साथ भारत ने सबसे पहले डिजिटन मार्केट की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के राजस्व पर कर की शुरुआत की।
ओईसीडी की रूपरेखा के अनुसार, अगले वित्तिय वर्ष से बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने राजस्व, लाभ, वे लोग जो रोजगार करते हैं और प्रत्येक देश में कर भुगतान करते हैं का विवरण सुपुुर्द करेंगी, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय नियमों में कमियों के चलते कर चोरी पर लगाम लगाना है।