सोमवार आने के साथ ही साइबर हमले का खतरा मंडराया 

Samachar Jagat | Monday, 15 May 2017 03:46:55 PM
Cyber terrorism threatens to come on Monday

लंदन। एएफपी सुरक्षा एजेंसियों ने आगाह किया है कि सोमवार को कार्य-सप्ताह शुरू होने पर दुनिया भर में दो लाख से ज्यादा कंपनियों और लोगों को शिकार बनाने वाला साइबर हमला नए संकट का रूप ले सकता है और इसके हमले के शिकारों की तादाद में इजाफा हो सकता है। यह अभी तक दुनिया का सबसे बड़ा साइबर हमला है जिसमें अपराधियों ने दुनिया के 150 से भी ज्यादा देशों में अपना कहर ढाया है। साइबर हमले के सरगना फिरौती वसूल रहे हैं।

साइबर हमलों का यह सिलसिला शुक्रवार को शुरू हुआ और इसने बैंकों से ले कर अस्पताल तक और निजी कंपनियों से ले कर सरकारी एजेंसियों तक सबको धड़ाधड़ अपना निशाना बनाया। इसने माइक्रोसॉफ्ट की पुरानी ऑपरेटिंग सिस्टम ओएस की कमजोरियों को फायदा उठाया।

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इन साइबर हमलों की जद में आने वालों में अमेरिकी कूरियर कंपनी फेडएक्स, यूरापीय कार कंपनियां, स्पेनी दूरसंचार दिग्गज टेलीफोनिका, ब्रिटेन की स्वास्थ्यसेवा और जर्मनी का ड्योश रेल नेटवर्क प्रमुख हैं। यूरापीय संघ की पुलिस एजेंसी ‘यूरोपोल’ के कार्यकारी निदेशक रॉब वेनराइट ने कहा है कि सप्ताहांत की छुट्टियां गुजार कर सोमवार को जब कर्मी अपने दफ्तर लौटेंगे और अपने अपने कंप्यूटरों पर लॉग-इन करेंगे तो हालात और बिगड़ सकते हैं। वेनराइट ने ब्रिटेन के आईटीवी टेलीविजन के साथ एक साक्षात्कार में हमले के दायरे को ‘अभूतपूर्व’ करार देते हुए कहा, ‘‘हमने इस तरह की कोई चीज पहले कभी नहीं देखी थी।’’

‘यूरोपोल’ के कार्यकारी निदेशक ने साइबर हमलों को ‘‘बढ़ता खतरा’’ करार दिया और कहा, ‘‘मैं चिंतित हूं कि कैसे जब लोग काम पर जाएंगे और अपनी मशीनें चालू करेंगे तो संख्या किस तरह बढ़ेगी ।’’

ब्रटेन के नेशनल साइबर सिक्यूरिटी सेंटर ने वेनराइट के इन अंदेशों की हिमायत की और कहा, ‘‘एक नया कार्य-सप्ताह शुरू हो रहा है और आशंका है कि ब्रिटेन में, और दूसरी जगहों पर रैनसमवेयर के और मामले प्रकाश में आएं और शायद बड़े पैमाने पर आएं।’’ सूत्रों ने बताया है कि इन साइबर हमलों के मद्देनजर ऑटोमोबाइल निर्माता कंपनी रेनो की उत्तर फ्रांस के दोउआइ में स्थित फैक्टरी सोमवार को नहीं खुलेगी।

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साइबर हमलों के पीडि़तों के कंप्यूटर स्क्रीन पर तस्वीरें आ जाती हैं जिनमें संदेश होता है, ‘‘उफ्फ, आपकी फाइलें ‘इनक्रिप्ट’ कर दी गई हैं।’’ पीडि़तों से आभासी दुनिया की मुद्रा ‘बिटक्वाइन’ में 300 डालर की फिरौती मांगी जाती है। स्क्रीन संदेशों में कहा जाता है कि पीडि़त यह रकम तीन दिन के अंदर चुका दे वरना फिरौती की रकम दुगुनी कर दी जाएगी। फिरौती नहीं देने पर लॉक की गई फाइलें ‘डिलीट’ कर दी जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि बिटक्वाइन दुनिया की सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली आभासी मुद्रा है। इसका लेन देन बेनाम तरीके से अत्याधिक इनक्रिप्टेड कोड से किया जा सकता है और किसी को इसकी भनक भी नहीं लगती। विशेषज्ञों और सरकारों दोनों ने ही पीडि़तों से कहा है कि वे फिरौती की अपराधियों की मांग नहीं मानें। वेनराइट के अनुसार अभी तक बहुत कम पीडि़तों ने फिरौती दी है।

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सुरक्षा कंपनी डिजिटल शैडोज ने कल कहा था कि रैनसमवेयर ने जिन बिटक्वाइन पतों का इस्तेमाल किया है उनके मार्फत बस 32 हजार डालर या साढ़े 20 लाख रूपये का लेनदेन हुआ है। मास्को स्थित कंप्यूटर सुरक्षा कंपनी कासपस्र्की लैब का कहना है कि अपराधियों ने जिन डिजिटल कोड का उपयोग किया है, माना जाता है कि उसे अमेरिका की नेशनल सिक्यूरिटी एजेंसी ने विकसित किया था। इसे बाद में डाक्यूमेंट डंप के रूप में लीक कर दिया गया था।

 



 

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