बर्थडे: द्रविड़ का विकेट लेने को तरस जाते थे दिग्गज गेंदबाज

Samachar Jagat | Wednesday, 11 Jan 2017 09:56:32 AM
rahul dravid mr reliable and the wall of team india

जयपुर। कर्नाटक के भारतीय पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ को टीम के 'मिस्टर रिलायबल' और 'दीवार' के विशेषण से भी नवाजा जाता था। 11 जनवरी 1973 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में जन्मे राहुल शरद द्रविड़ ने जून 1996 में टेस्ट करियर का आगाज किया था। 'द वॉल' आज 43वां जन्मदिन बना रहे है। अगर भारत के अभी तक के टेस्ट इतिहास की बात करें तो निश्चित तौर पर राहुल द्रविड़ का नाम हमेशा महान बल्लेबाजों में शुमार किया जाएगा। भारत ही नहीं द्रविड़ ने अपने करियर में जिस तरह की बल्लेबाजी की, उन्हें विश्व के दिग्गज बल्लेबाजों में हमेशा शामिल किया जाता है। अगर रिकॉर्ड की बात करें तो वैसे तो द्रविड़ ने अपने 16 साल के करियर में कई रिकॉर्ड अपने नाम किये।

गेंजबाजों के पशीने आ जाते थे द्रविड़ के आगे
राहुल द्रविड़ जब विकेट पर होते थे तो टीम को उनके उपर भरोसा रहता था। द्रविड़ की डिफेंस इतनी मजबूत थी कि उनके विकेट को हासिल करना दुनिया के तमाम मशहूर गेंदबाजों की चाहत हुआ करती थी। प्रथम क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे, दोनों में ऐसी पारियां खेलीं, जो उनके करियर के लिहाज से मील का पत्थर रहीं। इसमें पाकिस्तान के खिलाफ रावलपिंडी में खेली गई 270 रन की पारी (वर्ष 2004 )और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडीलेड में खेली गई 233 रन की बेहतरीन पारी (वर्ष 2003) शामिल रही। इन दोनों टेस्ट मैचों में टीम इंडिया को जीत दिलाने में द्रविड़ के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

लंबी पारी खेलना आदत थी
कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2001 में खेली गई राहुल द्रविड़ की 180 रन की बेहतरीन पारी का जिक्र भी जरूरी है। बेशक इस टेस्ट को 'वेरी वेरी स्पेशल' लक्ष्मण की 281 रन की पारी के लिए याद किया जाता है, लेकिन इसमें राहुल की भूमिका को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। मैच की दूसरी पारी में राहुल और लक्ष्मण के बीच पांचवें विकेट के लिए हुई 376 रन की साझेदारी ने ही भारत को करिश्माई जीत दिलाई थी। इस मैच में फॉलोआन खेलने के बावजूद भारत ने शानदार जीत दर्ज की थी। दरअसल लंबी पारियां खेलना बचपन से ही राहुल द्रविड़ की आदत थी। वे अपने विकेट के लिए गेंदबाजों से इतनी मशक्कत कराते थे कि कई बार वह झुंझलाकर रह जाते थे। टेस्ट करियर में राहुल ने पांच दोहरे शतक जमाए और पाकिस्तान के खिलाफ 270 उनका टॉप स्कोर रहा।  

एक नजर डालते है दोहरे शतकों पर। 

पहला दोहरा शतक जिम्बाब्वे, दिल्ली (200*)
उस समय भारतीय टीम बदलाव के दौर में थी और सौरव गांगुली के रूप में भारत को नया कप्तान मिला था। नवम्बर-दिसम्बर 2000 में जिम्बाब्वे की टीम भारत के दौरे पर आई थी, जहाँ उन्होंने दो टेस्ट मैचों की सीरीज खेली। इस सीरीज का पहला मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला में खेला गया, जहाँ राहुल द्रविड़ ने अपने करियर का पहला दोहरा शतक लगाया था। द्रविड़ ने इस मैच की पहली पारी में नाबाद 200 और दूसरी पारी में 70 रन बनाये और भारत ने ये मैच 7 विकेट से जीता था।

हालांकि  इतनी बेहतरीन बल्लेबाजी के बावजूद इस मैच में राहुल द्रविड़ को मैन ऑफ द मैच नहीं चुना गया। मैच में 9 विकेट लेने वाले जवागल श्रीनाथ को ये पुरस्कार मिला था।

दूसरा दोहरा शतक  इंग्लैंड, ओवल (217)
राहुल द्रविड़ ने अपना दूसरा दोहरा शतक इंग्लैंड के विरुद्ध 2002 के ओवल टेस्ट में लगाया था। इंग्लैंड की पहली पारी के 515 के जवाब में भारतीय टीम ने 508 रन बनाये थे, जिसमें द्रविड़ का योगदान 217 रनों का था। ये मैच ड्रॉ रहा था और भारत ने इस तरह इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज को भी 1-1 से बराबर करवाया था।

इस टेस्ट में दोहरा शतक बनाने के लिए न सिर्फ द्रविड़ को मैन ऑफ द मैच चुना गया, बल्कि सीरीज में 602 रन बनाने के लिए मैन ऑफ द सीरीज के पुरस्कार से भी नवाजा गया था।

तीसरा दोहरा शतक न्यूजीलैंड, अहमदाबाद (222)
2003 में न्यूजीलैंड की टीम दो टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारत के दौरे पर आई थी। इस सीरीज का पहला मैच अहमदाबाद में खेला गया और भारत को मैच में शिकंजा कसने के बावजूद जीत नसीब नहीं हुई थी। न्यूजीलैंड ने आखिरी दिन ये मैच ड्रॉ करवा लिया था।

भारत ने पहली पारी में 500/5 का मजबूत स्कोर खड़ा किया और पारी घोषित की। इसमें सबसे बड़ा योगदान राहुल द्रविड़ का था, जिन्होंने 222 रनों की लाजवाब पारी खेली थी। उस मैच में भारत के कप्तान सौरव गांगुली ने भी शतक जड़ा था। द्रविड़ ने मैच की दूसरी पारी में भी 73 रन बनाये और टेस्ट में 295 रन बनाने के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया।

चौथा दोहरा शतक ऑस्ट्रेलिया, एडिलेड (233)
राहुल द्रविड़ के करियर का यह सबसे बेहतरीन टेस्ट प्रदर्शन था। भारतीय टीम चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलिया गई थी। पहला टेस्ट भारत ने सौरव गांगुली के शानदार शतक की बदौलत ड्रॉ करवा लिया था और दूसरा टेस्ट खेलने दोनों टीमें एडिलेड पहुंची। ऑस्ट्रेलिया ने इस टेस्ट में पहले बल्लेबाजी करते हुए 556 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था और जवाब में जब भारत का स्कोर 85/4 हो गया तो हार की चर्चाएं शुरू हो गई थी।

लेकिन यहाँ से भारतीय उप-कप्तान राहुल द्रविड़ ने एक ऐसी पारी खेली कि ऑस्ट्रेलिया वाले हक्के-बक्के रह गए। द्रविड़ ने वीवीएस लक्ष्मण के साथ 303 रनों की बेमिसाल साझेदारी निभाई और भारत ने पहली पारी में 523 रन बना डाले। इसमें द्रविड़ का योगदान 233 रनों का था और ये ऑस्ट्रेलिया में किसी भी विदेशी बल्लेबाज द्वारा खेली गई सर्वश्रेष्ठ पारियों में आज भी गिनी जाती है।

दूसरी पारी में अजित अगरकर के 6 विकेटों की बदौलत ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 196 रनों पर सिमट गई और भारत को जीत के लिए 230 रनों का लक्ष्य मिला। द्रविड़ ने दूसरी पारी में भी शानदार बल्लेबाजी का सिलसिला जारी रखा और 72 रनों की नाबाद पारी खेल भारत को 4 विकेट से जीत दिलाकर सीरीज में 1-0 से आगे कर दिया।

इस टेस्ट में 305 रन बनाने के लिए राहुल द्रविड़ को मैन ऑफ द मैच चुना गया। सीरीज के चार टेस्ट में द्रविड़ ने 619 रन बनाये थे और उन्हें मैन ऑफ द सीरीज भी चुना गया था।

पांचवां दोहरा शतक पाकिस्तान, रावलपिंडी (270)
राहुल द्रविड़ ने अपना आखिरी दोहरा शतक 2004 में भारत के ऐतिहासिक पाकिस्तान दौरे पर लगाया था। भारतीय टीम पांच एकदिवसीय और तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलने पाकिस्तान गई थी। एकदिवसीय सीरीज में 3-2 से जीत हासिल करने के बाद भारत ने मुल्तान में खेला गया पहला टेस्ट वीरेंदर सहवाग ने शानदार तिहरे शतक की बदौलत पारी और 52 रनों से जीता था। लेकिन दूसरे टेस्ट में पाकिस्तान ने वापसी की और 9 विकेट से भारत को हराकर सीरीज को 1-1 की बराबरी पर ला दिया।

तीसरा और आखिरी टेस्ट रावलपिंडी में खेला गया और पहली पारी में पाकिस्तान महम 224 रन बनाकर ऑल आउट हो गई। जवाब में वीरेंदर सहवाग के पहली ही गेंद पर आउट होने से भारत को झटका लगा लेकिन पहले दो टेस्ट में भारत के कप्तान रहे राहुल द्रविड़ का इस मैच में इरादा कुछ और ही था। उन्होंने अपनी शानदार बल्लेबाजी को इस ऐतिहासिक दौरे के आखिरी मैच के लिए बचाकर रखा था।

सहवाग के आउट होने के बाद द्रविड़ ने एक क्षोर संभाला और अपना पांचवां दोहरा शतक लगाया। इस दोहरे शतक के साथ उन्होंने भारत की तरफ से सबसे ज्यादा दोहरे शतक बनाने के मामले में सुनील गावस्कर को पीछे छोड़ा। इस पारी में उन्होंने पहली बार टेस्ट क्रिकेट में 250 का आंकड़ा पार किया और उनके पास तिहरा शतक बनाने का बहुत ही बेहतरीन मौका था। लेकिन दूसरे क्षोर पर अंत में विकेट गिरने के कारण द्रविड़ भी तेज बल्लेबाजी के दबाव में आ गए और 270 के स्कोर पर आउट हो गए।

भारत ने उनकी इस पारी के बदौलत 600 रन बनाये और पाकिस्तान को टेस्ट में एक पारी और 131 रनों से मात देकर सीरीज पर 2-1 से कब्जा कर लिया। राहुल द्रविड़ को अपने सर्वाधिक स्कोर के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।

वनडे में तेज बैटिंग कर आलोचकों को चौंकाया


राहुल द्रविड़ को हालांकि वनडे के लिहाज से बैटिंग को आदर्श नहीं माना जाता था क्योंकि वे हवा में शॉट बेहद कम मौकों पर खेलते थे। लेकिन कई मौकों पर वे बेहद तेज गति से बैटिंग करके अपने आलोचकों को हैरान भी किया। नवंबर 1999 में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ सचिन तेंदुलकर के साथ ऐसी ही पारी खेली थी। इस पारी में 153 गेंदों पर 15 चौकों और दो छक्कों की मदद से 153 रन ही बनाए थे। खास बात यह है कि सचिन (186रन) के साथ दूसरे विकेट के लिए उन्होंने 331 रन की साझेदारी की थी। इन दोनों की बल्लेबाजी की बदौलत भारत ने हैदराबाद में हुआ यह मैच 174 रन के विशाल अंतर से जीता था।
 
टेस्ट और वनडे, दोनों ही तरह के क्रिकेट में 10 हजार से अधिक रन बनाने वाले द्रविड़ को क्रिकेट का मिस्टर जेंटलमैन कहा जाता था। यही कारण रहा कि बल्लेबाजी को मजबूती देने के लिए टीम के हित में वर्ल्डकप-2003 में वे विकेटकीपर बल्लेबाज की हैसियत से खेले। द्रविड़ के रिकॉर्ड उनकी महानता की कहानी खुद बयां करते हैं। 

एक नजर करियर पर 
164 टेस्ट में उन्होंने 52.31 के औसत से  13288 रन बनाए जिसमें 36 शतक शामिल रहे। इसी तरह 344 वनडे मैचों में द्रविड़ ने 39.16 के औसत से 10889 रन बनाए, जिसमें 12 शतकीय पारियां शामिल रहीं। यही नहीं, द्रविड़ को स्लिप का बेहतरीन क्षेत्ररक्षकों में भी शुमार किया जाता था। अपनी इसी कैचिंग की बदौलत उन्होंने टेस्ट में 210 कैच लपके।

वर्ष 2012 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भी द्रविड़ कोच के तौर पर क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। पिछले साल जूनियर वर्ल्डकप के फाइनल तक पहुंची भारतीय टीम के ऋषभ पंत, ईशान किशन, सरफराज जैसे खिलाडिय़ों की प्रतिभा को तराशने का काम द्रविड़ ने बखूबी किया है। ऋषभ पंत का चयन हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ भारत की टी20 टीम में किया गया है। भारत 'ए' की टीम के भी द्रविड़ कोच रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि 'द्रविड़ सर' अपनी कोचिंग से टीम इंडिया के लिए नई बल्लेबाजी प्रतिभाएं सामने लाने का काम आगे भी करते रहेंगे।



 

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